हजारीबाग: विनोबा भावे यूनिवर्सिटी द्वारा महाविद्यालयों से शुल्क के अतिरिक्त 18% जीएसटी वसूलने के निर्णय से छात्र और छात्र संगठनों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. छात्र संगठनों ने इस नई नीति का विरोध करते हुए इसे छात्र विरोधी करार दिया है. साथ ही इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है. विनोबा भावे यूनिवर्सिटी के अनुसार, शिक्षा शुल्क पर जीएसटी की वसूली आगामी दिनों में लागू की जाएगी. इससे छात्रों को शुल्क के अलावा 18% अतिरिक्त जीएसटी का भुगतान करना पड़ेगा जो उनपर एक बड़ा आर्थिक भार साबित हो सकता है.

एआईडीएसओ ने जताया विरोध

ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन (AIDSO) ने इस निर्णय का कड़ा विरोध किया है. जिला अध्यक्ष जीवन यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा, शिक्षा कोई वस्तु नहीं है जिस पर टैक्स लगाया जाए. शिक्षा तो नीति, नैतिकता, मूल्यबोध और चरित्र निर्माण का माध्यम है. उन्होंने यूनिवर्सिटी के निर्णय को निंदनीय करार देते हुए कहा कि यह छात्र हित के खिलाफ है. वहीं स्टूडेंट्स आरोप लगाया कि विनोबा भावे यूनिवर्सिटी बिना विचार-विमर्श के नीतियों को लागू कर रही है. उन्होंने कहा, “यूनिवर्सिटी अब ‘कॉपी-पेस्ट’ यूनिवर्सिटी बन गई है. पहले भी CBCS सेमेस्टर सिस्टम, नई शिक्षा नीति और चांसलर पोर्टल जैसी नीतियां बिना सार्थक चर्चा के लागू की गई थीं. इनके दुष्परिणाम छात्रों को भुगतने पड़े हैं.

नई शिक्षा नीति और वित्तीय प्रबंधन

नई शिक्षा नीति 2020 के तहत, यूनिवर्सिटी को मिलने वाले अनुदान में कटौती की जा रही है. इसके तहत उच्च शिक्षा वित्तीय एजेंसी (एचईएफए) और एचइसीआई जैसी संस्थाएं अब यूनिवर्सिटी को ऋण के रूप में पैसे उपलब्ध कराएंगी, न कि अनुदान के रूप में. इससे शिक्षा का खर्च कई गुना बढ़ जाएगा. छात्र संगठन ने मांग की है कि इस छात्र विरोधी नीति को तुरंत वापस लिया जाए. उनका कहना है कि यह निर्णय छात्रों के हित में नहीं है और इससे उनकी आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ेगा.

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