JoharLive Desk
नई दिल्ली : बैंक कर्मचारीयों के दो बड़े संगठनों ने आगामी 22 अक्तूबर (मंगलवार) को राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। कर्मचारी संगठनों की इस घोषणा से त्योहरी सीजन में बैंकिग कामकाज पर असर पड़ने की संभावना है। ऐसे में लोगों को दिक्कतें हो सकती हैं।
ऑल इंडिया बैंक इंप्लाई यूनियन (एआईबीईए) और बैंक इंप्लाई फेडरेशन ऑफ इंडिया ने हड़ताल बुलाई है। बैंकों के प्रस्तावित विलय और जमा पर गिरती ब्याज दरों का विरोध करने के लिए यह हड़ताल होगी। हालांकि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने बयान जारी करते हुए कहा है कि उनके यहां पर इस हड़ताल का असर देखने को नहीं मिलेगा।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और सिंडिकेट बैंक में हड़ताल का असर देखने को मिलेगा। बैंकों ने इस बारे में ग्राहकों से कहा है कि वो अपने जरूरी बैंकिंग कार्य सोमवार को ही निपटा लें।
बैंकों के सात यूनियन इस हड़ताल में हिस्सा नहीं लेंगे। इन सात संगठनों में से तीन कर्मचारी और चार अधिकारियों के संगठन हैं। पिछली बार बैंक कर्मचारियों ने 26 और 27 सितंबर को हड़ताल की घोषणा की थी, लेकिन फिर इसको वापस ले लिया था।
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन के अधिकारियों समेत अन्य बैंक कर्मचारियों के संगठन के प्रतिनिधियों ने वित्त सचिव से मुलाकात की थी। इस बैठक में बैंकों के विलय की प्रक्रिया, वेतन संशोधन समेत कई अहम बिंदुओं पर चर्चा हुई।
वित्त सचिव ने उनकी मांगों को गंभीरता से लिया और एक कमेटी बनाने का आश्वसन दिया जो सभी महत्वपूर्ण मसलों पर विचार करेगी। प्रतिनिधियों ने कहा कि वित्त सचिव ने पूर्वनिर्धारित बैंक हड़ताल को स्थगित करने की अपील की।
हड़ताल की वजह से लोगों को चार दिन तक परेशानी का सामना करना पड़ता। दो दिन बैंक कर्मचारियों-अधिकारियों की हड़ताल और दो दिन शनिवार और रविवार के अवकाश की वजह से बैंक चार दिन बंद रहते। बैंकों की विलय प्रक्रिया के खिलाफ ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन ने कहा था कि हम सरकार के विलय के कदमों का विरोध करते हैं।
बैंक बंद रहने से एटीएम से धन निकासी भी प्रभावित हो सकती है। एटीएम में दो दिन के लिए रिजर्व कैश होता है, लेकिन इसके बाद नकद निकासी में परेशानी आ सकती है। इसी तरह, चेक क्लीयर होने में भी समय लग सकता हैं।