लातेहार : लातेहार जिले के कुलगड़ा गांव में किसान श्रीकांत भगत ने अपनी बंजर पड़ी जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू कर एक नई मिसाल पेश की है. उनके बुलंद हौसले और भूमि संरक्षण विभाग के सही मार्गदर्शन से पहले घास-फूस उगने वाली भूमि में आज स्ट्रॉबेरी के फूल खिलने लगे हैं. यह प्रयास कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति के रूप में देखा जा रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले महीनों में स्ट्रॉबेरी के फल भी आएंगे.
बंजर भूमि पर पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती
श्रीकांत भगत ने बताया कि पहले उनकी भूमि बंजर पड़ी हुई थी, जहां मवेशियों को बांधने के अलावा कोई खास उपयोग नहीं था. कुछ समय पहले उन्होंने भूमि संरक्षण विभाग से संपर्क किया, जिससे उन्हें उन्नत खेती की जानकारी मिली. विभागीय मार्गदर्शन के बाद उन्होंने अपनी बंजर भूमि में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. अब पौधों में फूल आ रहे हैं और जल्द ही फल आने की संभावना जताई जा रही है. विभाग ने उन्हें खेती के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और तकनीक दी, जिससे उनके प्रयासों को सफलता मिलने का विश्वास है.
ग्रामीणों के लिए प्रेरणा
श्रीकांत भगत के इस प्रयास से न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे गांव के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गया है. गांव के ग्रामीण रोहित ने बताया कि यह गांव में पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही है. अगर यह सफल हो गया तो आने वाले समय में अन्य किसान भी इस प्रकार की खेती करने के लिए प्रेरित होंगे. जहां पहले कुछ भी नहीं उगता था, अब वहां स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही है, जो ग्रामीणों के लिए एक नई उम्मीद की किरण है.
किसानों को मिल रही मदद
लातेहार जिले के भूमि संरक्षण पदाधिकारी विवेक मिश्रा ने बताया कि जिले के किसानों को उन्नत कृषि से जोड़ने के लिए विभाग लगातार प्रयास कर रहा है. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को आधुनिक खेती से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके. यदि कुलगड़ा गांव में बंजर भूमि पर शुरू की गई स्ट्रॉबेरी की खेती सफल रही तो यह न केवल जिले, बल्कि पूरे राज्य में कृषि क्रांति का रूप ले सकती है. इससे किसानों की आय दोगुना होने की संभावना है.
श्रीकांत भगत का यह प्रयास कृषि क्षेत्र में एक नई दिशा दिखा रहा है. बंजर जमीन पर उन्नत खेती की शुरुआत से यह साबित होता है कि सही मार्गदर्शन और प्रयास से कोई भी चुनौती पार की जा सकती है. यदि यह स्ट्रॉबेरी की खेती सफल होती है, तो यह लातेहार और आसपास के क्षेत्रों के किसानों के लिए एक बड़ा उदाहरण बन सकती है.
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