पेट्रापोल: पश्चिम बंगाल के पेट्रापोल में एक अद्भुत कहानी सामने आई है. जहां गोरखपुर के एक गणित शिक्षक अमित कुमार प्रसाद. जो एक दशक से भी ज्यादा समय से लापता था, उसे आखिरकार उनके परिवार से मिलवा दिया गया.  प्रसाद को स्थानीय लोगों ने पेट्रापोल बाजार के पास एक पेड़ के नीचे गणित के सवाल हल करते हुए देखा था.  उस समय वह फटे हुए कपड़े पहने हुए थे और मानसिक रूप से अस्थिर लग रहे थे.

यह घटना पिछले हफ्ते की है जब भारत-बांग्लादेश सीमा पर तनाव का माहौल था.  स्थानीय लोगों ने प्रसाद को इस हालत में देखकर पुलिस को सूचित किया.  पुलिस ने जब जांच की तो पता चला कि यह व्यक्ति उत्तर प्रदेश के गोरखपुर का रहने वाला अमित कुमार प्रसाद है, जो एक गणित शिक्षक है और पिछले एक दशक से लापता था.  पुलिस ने हैम रेडियो ऑपरेटरों की मदद से प्रसाद को उनके परिवार से फिर से मिलाने का काम किया।

अमित की तलाश करने की प्रक्रिये कुछ ऐसे पूरी हुई

सोमवार को प्रसाद के पिता गामा प्रसाद अपने रिश्तेदारों के साथ गोरखपुर के बरगो से पेट्रापोल पुलिस स्टेशन पहुंचे.  इसके साथ ही अमित की तलाश का लम्बा सफर खत्म हुआ.  परिवार वालों ने बताया कि प्रसाद अपने गांव के एक स्कूल में गणित पढ़ाते थे.  वो कई सालों से यह काम कर रहे थे लेकिन एक दिन अचानक गायब हो गए.  गामा प्रसाद ने बताया कि मेरा बेटा स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के अलावा आस-पास के कम से कम पांच गांवों के 250 से ज्यादा गरीब बच्चों को मुफ्त में गणित पढ़ाता था.  उसे बचपन से ही गणित से बहुत लगाव था और उसने जल्दी ही पढ़ाना शुरू कर दिया था.  बाद में, वह एक मानसिक बीमारी का शिकार हो गया और लापता हो गया.  हमने उसे सालों तक ढूंढा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.  इतने सालों बाद उसे ज़िंदा देखने की उम्मीद हमने कभी नहीं की थी।

मिट्टी पर गणित के सवाल कर रहा था हल
स्थानीय हैम रेडियो ऑपरेटर परिमल रॉय ने बताया कि स्थानीय लोगों ने उसे गीली मिट्टी पर कुछ गणितीय समीकरण हल करते हुए पाया.  जब उन्होंने उससे उसकी पहचान पूछी तो उसने कोई जवाब नहीं दिया और आगे नदी किनारे चला गया.  जब लोगों ने उससे बार-बार पूछताछ की तो उसने हिंदी में उनसे कहा कि उसे अकेला छोड़ दें.  इसके बाद लोगों ने पुलिस को सूचित किया.

किसने ने दी ये जानकारी
पश्चिम बंगाल रेडियो क्लब के सचिव अम्बरीश नाग बिस्वास ने बताया कि पुलिस ने प्रसाद के परिवार का पता लगाने में मदद करने के लिए हमसे संपर्क किया.  मैंने उस व्यक्ति से बात की और उसके परिवार की तलाश शुरू करने के लिए पूरे भारत में हैम रेडियो ऑपरेटरों के नेटवर्क में उसकी तस्वीर प्रसारित की.  बाद में, हम उसके पिता से संपर्क करने में सफल रहे.

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