Johar Live Desk : हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है, जो हर साल माघ माह की शुक्ल पंचमी को मनाई जाती है. इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है, जो ज्ञान, कला और संगीत की देवी मानी जाती हैं. इस दिन को ऋषि पंचमी भी कहा जाता है और इस दिन को लेकर विभिन्न पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं.
सत्यार्थ नायक की किताब महागाथा में एक दिलचस्प कथा साझा की गई है, जो माता सरस्वती और भगवान विष्णु के बीच एक अद्भुत युद्ध की ओर इशारा करती है. कथानुसार, एक बार माता सरस्वती ने ब्रह्मा जी से यह प्रश्न किया था कि उनके, मां लक्ष्मी और माता पार्वती में से कौन सबसे ज्यादा शक्तिशाली और महत्वपूर्ण हैं. ब्रह्मा जी ने यह उत्तर दिया कि इन तीनों की अपनी-अपनी भूमिका और ताकत है, और इनकी कोई तुलना नहीं की जा सकती.
लेकिन जब ब्रह्मा जी ने खुद कहा कि अगर उन्हें किसी को चुनना पड़े, तो वह माता लक्ष्मी को चुनेंगे, तो माता सरस्वती को गहरी चोट पहुंची. उन्होंने देवताओं को त्याग दिया और एक यज्ञ को नष्ट करने के लिए प्रकट हो गईं. माता सरस्वती का गुस्सा इतना प्रचंड था कि उन्होंने अपनी वीणा को अस्त्र में बदल दिया और वह भयंकर रूप में प्रकट हुईं.
माता सरस्वती और भगवान विष्णु के बीच घमासान युद्ध हुआ. भगवान विष्णु ने माता सरस्वती के द्वारा उत्पन्न शक्तियों का सामना किया और अंततः उन्हें शांत किया. विष्णु जी ने अपने अद्भुत शक्ति से माता सरस्वती की शक्ति को नियंत्रित किया और उनके क्रोध को शांत किया.
यह कथा हमें यह संदेश देती है कि देवताओं के बीच के द्वंद्व भी ब्रह्मांड के संतुलन और उसके संचालन के लिए आवश्यक होते हैं. इस तरह की घटनाएं हमें यह समझने में मदद करती हैं कि शक्ति का वास्तविक रूप संतुलन और समझ में है, न कि केवल प्रतिस्पर्धा और क्रोध में. बसंत पंचमी के इस दिन हम माता सरस्वती से ज्ञान और समझ की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और उनकी अनंत शक्ति को नमन करते हैं.
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