Joharlive Team
महाशिवरात्रि के एक दिन पूर्व यानि फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि के अवसर पर बुधवार को बाबा वैद्यनाथ, माता पार्वती सहित अन्य सभी मंदिरों के शिखर से उतारे गए सभी पंचशूलों की सामूहिक पूजा की गई। तीर्थ पुरोहितों की उपस्थिति में विधि-विधान से पंचशूल पूजा संपन्न कराया गया। पंचशूल पूजा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। पंचशूल पूजा के बाद सबसे पहले बाबा बैद्यनाथ और माता पार्वती मंदिर के शिखर पर पंचशूलों को वापस लगाए जाने की परंपरा रही है। इस विशेष पूजा के बाद बाबा और पार्वती मंदिरों के बीच प्रथम गठबंधन भी कराया जाता है। इसी क्रम में अन्य सभी मंदिरों के शिखरों से उतारे गए पंचशूलों को फिर से लगाया जाता है। ज्ञात हो कि बाबा वैद्यनाथ और माता पार्वती मंदिर के शिखर से पंचशूलों को उतारे जाने के बाद दोनों मंदिरों के बीच गठबंधन भी बंद हो जाता है। इसके पूर्व मंगलवार को हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में बाबा बैद्यनाथ और माता पार्वती मंदिर के शिखरों से पंचशूलों को उतारा गया था। पंचशूलों को उतारे जाने के बाद दोनों को एक साथ गठबंधन से बांधकर प्रशासनिक भवन में सुरक्षित रख दिया गया था। फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि से भगवान गणेश मंदिर से शुरू किए गए पंचशूल खोलने का काम एकादशी तिथि को संपन्न हो गया था। तीर्थपुरोहितों ने बताया कि बाबा मंदिर प्रांगण अवस्थित सभी 22 मंदिरों के शिखरों से पंचशूल परंपरानुसार उतार लिए गए थे, जिन्हें सामूहिक पूजा के बाद पुर्नस्थापित किया जाता है। साथ ही, पूजा के बाद सबसे पहले गणेश मंदिर उसके बाद बाबा पार्वती मंदिर फिर सभी मंदिरों में पंचशूल लगाया जाता है। इसके बाद आम भक्तों द्वारा गठबंधन चढ़ाने का सिलसिला शुरू हो जाता है।