हिन्दी फिल्मों की मशहूर अदाकारा नरगिस का जन्म आज के दिन ही हुआ था। वह लगभग चार दशक तक अपनी प्रतिभा से सिनेमा प्रेमियों दिलों पर राज करती रही। उन्होंने फिल्मों में हर तरह का किरदार निभाया और हर फिल्म की अपनी भूमिका में अपने अभिनय से वह जान डाल देती थीं। नरगिस की मां तवायफ जद्दन हिन्दू -मुस्लिम एकता की मिसाल थीं ।
अपने समय में बॉलीवुड पर राज करने वाली नरगिस दत्त कि मां जद्दनबाई एक तवायफ थी। उनके तीन बच्चे थे और तीनो के ही पिता अलग अलग थे। इनमें से नरगिस एक हिन्दू पिता कि संतान थी और नरगिस के पिता ने ही जद्दन बाई से शादी की। बहुत कम लोग जानते हैं कि जद्दन कि मां एक ब्राह्मण विधवा थी।
जद्दन का गया हुआ गाना ”लागत करेजवा में चोट” आज भी लोग दिल थाम के सुनते हैं। जद्दन बाई अपने जवानी के दिनों में बेहद सुन्दर थीं। बनारस में चौक थाने के पास जद्दन कि महफ़िल सजती थी। जद्दन बाई ने संगीत की शिक्षा दरगाही मिश्र और उनके सारंगी वादक बेटे गोवर्धन मिश्र से ग्रहण की थी।
एन. डॉक्टर बनना चाहती थीं नरगिस ने अपने अभिनय से लोगों का दिल जीता लेकिन वह कभी अभिनेत्री नहीं बनना चाहती थी। वह डॉक्टर बन कर समाज कि सेवा करना चाहती थी। हालांकि मां कि इच्छा के कारण उन्हें फिल्मों में काम करना पड़ा। कनीज फातिमा राशिद बनी नरगिस का जन्म कोलकाता में १ जून, 1929 को हुआ था। उनका असली नाम कनीज फातिमा राशिद था।
जद्दनबाई के गीत संगीत और फिल्मों में रूचि के कारण घर में फिल्मकारों का आना जाना लगा रहता था।एनएफ. महबूब खान के स्क्रीन टेस्ट में फेल होना चाहती थी नरगिस उनकी मां उन्हें एक दिन स्क्रीन टेस्ट के लिए फिल्म निर्माता एवं निर्देशक महबूब खान के पास भेजा। फिर उन्होंने स्क्रीन टेस्ट में फेल होने के लिए जैसे तैसे संवाद बोले ताकि उन्हें महबूब खान फेल कर दें, लेकिन महबूब खान ने उन्हें अपनी फिल्म ‘तकदीर’ के लिए चुन लिया।
एक के बाद एक महबूब खान कि फिल्मों में उन्होंने काम किया। 1949 में नरगिस के कई बेहतरीन फ़िल्में बरसात, अंदाज जैसी फिल्मों ने उन्हें स्थापित अभिनेत्रियों में शुमार कर दिया। राज कपूर के साथ जोड़ी नरगिस को राज कपूर के फ़िल्मी परदे पर काफी पसंद किया गया। लगभग 55 फिल्मों में दोनों ने साथ काम किया। 1956 में आई फिल्म ‘चोरी चोरी’ नरगिस और राजकपूर की जोड़ी वाली अंतिम फिल्म थी। कहा जाता है कि असल जिंदगी में भी नरगिस और राजकपूर कि अच्छी केमेस्ट्री थी।
एनएफ. सुनील दत्त ने बचाई जान और नरगिस दिल दे बैठी 1957 में महबूब खान की फिल्म ‘मदर इंडिया’ ने नरगिस सुनील दत्त की मां कि भूमिका में थी। मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान सुनील दत्त ने नरगिस को आग से बचाया था। प्रस्तुति:दिलीप अन्जाना. इस घटना के बाद नरगिस ने कहा था कि पुरानी नरगिस की मौत हो गयी है और नयी नरगिस का जन्म हुआ है। नरगिस ने उसी दिन से सुनील दत्त को अपना जीवन साथी चुन लिया।
एनएफ. राष्ट्रीय पुरस्कार और पद्मश्री से सम्मानित शादी के बाद नरगिस ने फिल्मों में काम करना कम कर दिया। करीब दस साल के बाद अपने भाई अनवर हुसैन और अख्तर हुसैन के कहने पर नरगिस ने 1967 में फिल्म ‘रात और दिन’ में काम किया।
इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पहला मौका था जब किसी अभिनेत्री को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया। नरगिस को अपने सिने करियर में मान सम्मान बहुत मिला। वह पहली अभिनेत्री थीं जिन्हें पद्मश्री पुरस्कार मिला और जो राज्यसभा सदस्य बनी। कैंसर से जूझ रही नरगिस ने 03 मई, 1981 दुनिया से सदा के लिए रुखसत हो गई।