रांची। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे चरण में सोमवार को स्पीकर रविंद्र नाथ महतो सदन में विधायक सीपी सिंह से नाराज हो गए। भाजपा विधायक मनीष जायसवाल सदन में सवाल रख रहे थे। इसी दौरान सीपी सिंह कुछ बोलना चाह रहे थे। स्पीकर ने कहा कि आप हर चीज में हस्तक्षेप कर देते हैं यह अच्छी बात नहीं है। इस पर सीपी सिंह ने कहा कि महोदय हम सदन में बैठे हैं, हमको भी जानने का हक है। मंत्री हर सवाल के जवाब में सूची लेकर नहीं आए हैं, दिखा लेंगे जैसी बातें कहते हैं। इसपर आलमगीर आलम की ओर से विधायक मनीष जायसवाल के सवाल का जवाब दिया गया, तब स्पीकर ने कहा कि माननीय सदस्य कंफ्यूज हैं, क्योंकि उनको पूरी व्यवस्था को नीचा दिखाना है।
बिरंची नारायण ने झारखंड, वनांचल और जेपी आंदोलनकारियों को चिन्हित करने का मामला उठाया
भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने अल्पसूचित प्रश्न के माध्यम से झारखंड, वनांचल और जेपी आंदोलनकारियों को चिन्हित करने की मांग उठायी। उन्होंने कहा कि अलग राज्य बनाने के लिए झारखंड और वनांचल के नाम पर बृहत आंदोलन अलग-अलग विचारधारा के लोगों ने किया था। लेकिन कई लोगों ने जिन्होंने वनांचल नाम से आंदोलन किया, उनका नाम छोड़ दिया गया। बिरंची ने बताया कि पूर्व सांसद रामदास सिंह, पूर्व विधायक छत्रुराम महतो समेत दर्जनों नाम नहीं जोड़े गए।
मंत्री आलमगीर आलम ने जवाब देते हुए कहा कि झारखंड हो या वनांचल सारे नामों से आंदोलन करने वालों को चिन्हित कर सम्मान दिया जायेगा। मंत्री ने कहा कि अलग राज्य के लिए जिस नाम से भी आंदोलन हुए, सभी को चिन्हित कर सम्मान दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि जेपी आंदोलन का मामला झारखंड आंदोलन से नहीं जुड़ा है।
मंत्री के जवाब पर सीपी सिंह ने आपत्ति जताई कि जेपी आंदोलन संयुक्त बिहार में हुआ था, तब झारखंड भी बिहार का हिस्सा था। वह खुद आंदोलन में छह माह जेल में रहे, लेकिन उन्हें कभी आयोग ने आंदोलनकारी के तौर पर चिन्हित नहीं किया। वहीं सरयू राय ने सूचना दी कि झारखंड में जेपी आंदोलनकारियों को पेंशन बिहार की तर्ज पर दी जाए, बिहार सरकार ने पेंशन बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को कुछ जिलों में कई माह से पेंशन नहीं मिला है।
झारखंड आंदोलनकारियों को चिन्हित किए जाने की बात को लेकर पक्ष-विपक्ष में तकरार हुई। विधायक सुदिव्य सोनू ने मंत्री के जवाब के दौरान कहा कि वनांचल आंदोलन के नाम पर भाजपा आंदोलन को तोड़ रही थी, तब बिरंची ने कहा की दिल्ली की मंडी में आंदोलन बेचने वाले यहां बात ना करें।
वहीं भाजपा विधायक ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि उन्होंने सरकार से सवाल पूछा है, तब एक सदस्य इस तरह व्यवधान डाल रहे हैं, सदस्य से वह वरिष्ठ हैं, लेकिन पहली बार चुन कर आए सदस्य सुपर मंत्री की तरह व्यवहार ना करें। इसपर अमर बाउरी ने भी कहा कि माननीय सदस्य को मंत्री बना देना चाहिए। बिरंची ने कहा कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने झारखंड राज्य दिया, उन्होंने बड़ा दिल दिखाते हुए वनांचल का नाम झारखंड किया।
सरकार बनायेगी अपना ग्राउंड वाटर बोर्ड : मिथिलेश ठाकुर
विधानसभा में विधायक प्रदीप यादव ने जल संकट से निपटने के लिए सरकार की तैयारियों पर सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि विभिन्न जिलों में भू-गर्भ जल नीचे चला गया है। रांची, धनबाद और रामगढ़ जिले में स्थिति चिंताजनक है। कई जिलों में अलर्ट की स्थिति है। ऐसे में पानी निकाले जाने पर और गंभीर संकट बन सकता है। इसपर जल संसाधन मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने जवाब दिया कि राज्य सरकार अपने स्तर से ग्राउंड वाटर बोर्ड बनाने की तैयारी में है। इससे नीचे जाते जलस्तर की समस्या की पहचान और इसके लिए निराकरण में मदद मिलेगी। बोर्ड गठन के लिए ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। बोर्ड के एक्टिव होने से लाभ मिलेगा। अभी 33 राज्यों में से 14 में ही राज्य का भू-जल बोर्ड काम कर रहा है।
मिथिलेश ठाकुर के मुताबिक भू-जल का दोहन ना हो, इस पर सरकार का ध्यान है। कई योजनाओं के माध्यम से जल संरक्षण की पहल शुरू की है। नीलांबर पीतांबर जल समृद्धि योजना लागू की गयी है। नगर विकास की ओर से भी अलग अलग योजनाओं के जरिये प्रयास हो रहा है।
तीन साल में पोक्सो, साइबर और एनडीपीएस एक्ट के तहत 8004 मामले दर्ज हुए : आलमगीर
भाजपा विधायक मनीष जायसवाल ने सदन में सवाल उठाया कि राज्य में पिछले तीन सालों में पोक्सो, साइबर और एनडीपीएस एक्ट के 10000 मामले दर्ज हुए हैं। हजारीबाग समेत राज्य के अन्य जिलों में अब तक सरकार इन एक्ट में दोषी लोगों को सजा दिलाने के लिए विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति नहीं कर पाई है, जिसके कारण इन मामलों की सुनवाई प्रभावित हो रही है।
इस पर सरकार की ओर से जवाब देते हुए मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि राज्य में पिछले तीन सालों में पोक्सो एक्ट में 3388, साइबर में 2972 और एनडीपीएस एक्ट में 1644 मामले दर्ज हुए हैं। तीनों मिलाकर कुल 8004 मामले दर्ज हुए हैं। उन्होंने माना विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति नहीं होने के कारण मामलों की सुनवाई प्रभावित हो रही है। पोक्सो एक्ट के तहत पलामू, धनबाद, जमशेदपुर, गढ़वा, गिरिडीह, गोड्डा, रांची और देवघर में विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति की गई है। शेष जगहों पर नियुक्ति प्रक्रियाधीन है।