दुमका लोकसभा की राजनीतिक स्थितियों का आरंभिक आकलन
स्वामी दिव्यज्ञान
रांची : आगामी लोकसभा चुनाव में दुमका में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. झारखंड में दुमका लोकसभा क्षेत्र हमेशा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के बीच तीखी प्रतिस्पर्धा का मैदान रहा है. इस बार भी मुकाबला कड़ा है. एक तरफ सीता सोरेन हैं, जो झामुमो से पाला बदलकर बीजेपी में आ गयी हैं. वहीं, झामुमो से सात बार के विधायक नलिन सोरेन हैं. जबकि कुछ का दावा है कि भाजपा के पक्ष में मोदी लहर है, दूसरों का कहना है कि ईडी द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से झामुमो को सहानुभूति हासिल करने और झामुमो के पक्ष में सहानुभूति लहर पैदा करने में मदद मिली है. सीता सोरेन, जो पहले झामुमो में थीं, अब भाजपा में शामिल हो गई हैं और झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो शिबू सोरेन की बहू हैं. भाजपा ने शुरुआत में सुनिल सोरेन को टिकट दिया था, लेकिन बाद में उनकी जगह सीता सोरेन को टिकट दे दिया, जिससे भाजपा कार्यकर्ताओं में कुछ असंतोष है. जहां नलिन का सौम्य स्वभाव उनके समर्थकों के बीच उनके पक्ष में काम करता है, वहीं मोदी लहर सीता के पक्ष में नजर आती है.
झारखंड राज्य में स्थित यह संसदीय सीट 6 विधानसभा क्षेत्रों में विभाजित है जहां मतदाता राज्य विधानसभा के लिए अपने प्रतिनिधि चुनते हैं. वर्तमान में, भाजपा को इनमें से दो क्षेत्रों के विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जबकि झामुमो को चार क्षेत्रों के विधायकों का समर्थन प्राप्त है. पिछले लोकसभा चुनाव में, भाजपा के सुनील सोरेन 484,923 वोटों के साथ विजयी हुए थे, उन्होंने जेएमएम के उम्मीदवार को हराया था, जिन्हें 437,333 वोट मिले थे. हालांकि, नए चुनाव के साथ, स्थिति बदल गई है क्योंकि भाजपा से सीता सोरेन और झामुमो से नलिन सोरेन विभिन्न राजनीतिक गठबंधनों के बीच लड़ाई में आमने-सामने होंगे. आइए, दुमका के इस अहम चुनावी मुकाबले पर एक नजर डालते हैं. दुमका संसदीय क्षेत्र की वर्तमान उम्मीदवार सीता सोरेन भारतीय जनता पार्टी की सदस्य हैं अभी हाल में वह झारखंड मुक्ति मोर्चा से भाजपा में आई. वह एक जाने-माने छात्र के सबसे बड़े परिवार शिबू सोरेन के परिवार से आती हैं और वर्तमान में झारखंड विधानसभा में विधायक हैं जहां से उन्होंने त्यागपत्र दे दिया है .
कुछ विश्लेषकों का अनुमान है कि सीता सोरेन को बीजेपी में शामिल होने से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी में उनके साथ हुए दुर्व्यवहार और महत्व की कमी के कारण सहानुभूति वोट मिल सकते हैं. गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे का समर्थन सीता सोरेन के लिए चुनाव के नतीजे को काफी प्रभावित कर सकता है क्योंकि उनका दुमका लोकसभा क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण प्रभाव है. निशिकांत दुबे के साथ समस्या यह है कि गुड्डा लोकसभा चुनाव जहां से वह प्रत्याशी है और दुमका का लोकसभा चुनाव दोनों एक ही तिथि को है तो वह संभवत कितना मदद कर पाएंगे यह वक्त ही बताएगा. सीता सोरेन वर्तमान में जामा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. भाजपा उम्मीदवार के रूप में उनकी सफलता वर्तमान भाजपा विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री रणधीर कुमार सिंह के साथ उनके गठबंधन पर निर्भर करेगी, जिन्हें अपने पूरे निर्वाचन क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति की आवश्यकता है क्योंकि वह उस क्षेत्र से एकमात्र विधायक हैं. कैबिनेट मंत्री डॉ लुईस मरांडी , स्वतंत्र निदेशक व भाजपा नेता डॉ. अंजुला मुर्मू, दुमका की पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अमिता रक्षित जो की एक बंगाली कम्युनिटी से आती है दुमका क्षेत्र में बांग्ला भाषाओं की बहुत बड़ी संख्या है और अमिता रक्षित का बहुत ही बड़ा प्रभाव इन बांग्ला भाषा लोगों के प्रति है और अन्य भाजपा कार्यकर्ता भी सीता के लिए महत्वपूर्ण सहयोगी साबित हो सकते हैं. भाजपा प्रत्याशी के तौर पर सीता की जीत में चर्चित छात्र नेता और युवा मोर्चा के नेता गुंजन मरांडी का समर्थन भी अहम भूमिका निभाएगा. सबसे महत्वपूर्ण भूमिका कोई निभाएगा इनकी जीत में तो वह है वनवासी कल्याण केंद्र.
झामुमो के नलिन सोरेन लगातार 7 बार शिकारीपाड़ा विधानसभा के प्रतिनिधि के रूप में चुने गए हैं और अब झारखंड में दुमका लोकसभा क्षेत्र के लिए भारत गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. उनकी पत्नी जोया बसेरा वर्तमान में दुमका जिला परिषद की अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं. जोया बसेरा के समर्थक, जो जिला परिषद के सदस्य हैं, आगामी चुनाव में नलिन सोरेन का समर्थन करने की संभावना है. नलिन सोरेन की सफलता के लिए जामताड़ा, शिकारीपाड़ा, नाला और दुमका विधानसभा क्षेत्रों में वोट प्रतिशत महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यहां के विधायक इंडिया गठबंधन के हैं तो वोटो को अपने और ले जाना यह उनकी जिम्मेवारी है अगर एंटी इनकंबेंसी हुई तो खतरा हो सकता है. नाला के विधायक और विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो का भी चुनाव प्रचार पर असर पड़ सकता है लेकिन वह विधानसभा अध्यक्ष है ऐसे में वह सीधे प्रचार कर सकते हैं या नहीं इस पर निर्भर करेगा लेकिन उनका झुकाव किस तरफ होगा यह जग जाहिर है.
दुमका लोकसभा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण पक्ष श्वेता झा का है जो कि संभवत: नगरपालिका अध्यक्ष है दुमका की, उनका भी महत्वपूर्ण योगदान रहेगा शहरी और कस्बाई मतदाताओं को झारखंड मुक्ति मोर्चा के पक्ष में करने का. इनके पिता बहुत बड़े चिकित्सक हुआ करते थे और ख्याति पूरे दुमका जिले मे थी अपने पिता के द्वारा किए सेवा का लाभ भी उनके पक्ष में जाता है और यह नलिन सोरेन को काफी हद तक मदद कर सकती है .
दुमका लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में अल्पसंख्यक मतदाताओं की एक बड़ी संख्या है जो परंपरागत रूप से इंडिया अलायंस का समर्थन करते हैं, जिससे डॉ इरफान अंसारी के लिए अपने वोट सुरक्षित करने के लिए कड़ी मेहनत करना महत्वपूर्ण हो जाता है लेकिन समस्या यह आ रही है की इरफान अंसारी के पिता फुरकान अंसारी जो की गोड्डा लोक सभा के पूर्व सांसद भी हैं और इस बार कांग्रेस के टिकट के प्रबल दावेदार ऐसी हालत में इरफान अंसारी के पास दुविधा होगी कि यह फुरकान अंसारी की मदद करें या नलिन सोरेन की .
एक तरह से कहा जाए तो शिबू सोरेन परिवार के प्रति दुमका के लोगों की बहुत श्रद्धा है, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के छोटे भाई वर्तमान में दुमका विधानसभा के विधायक ताज झारखंड सरकार के कद्दावर कैबिनेट मंत्री भी है, विश्लेषकों के मुताबिक इस क्षेत्र में उनकी तूती बोलती है बसंत सोरेन को सिर्फ चतुराई का प्रयोग करना पड़ेगा उनके लिए दुविधा यह होगी कि अपनी खुद की बड़ी भाभी के प्रति क्या व्यवहार रखते हैं क्योंकि उनका कोई भी कठोर शब्द भाजपा सोशल मीडिया एनालिस्ट के लिए एक बूस्टर का काम कर सकता है, खैर लोकसभा के आरंभिक आकलन में इससे अधिक नहीं लिखा जा सकता.
एक बात और जो महत्वपूर्ण दिख रहा है वह अगर शिबू सोरेन जो काफी अस्वस्थ भी चल रहे हैं फिर भी सीधे प्रचार में आ जाते हैं तो इससे नलिन सोरेन के पक्ष में मतदाताओं का झुकाव हो सकता है. अंत में, दुमका लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच एक रोमांचक चुनावी युद्धक्षेत्र प्रस्तुत करता है, जिसमें कड़ी प्रतिस्पर्धा है. भाजपा से सीता सोरेन और झामुमो से नलिन सोरेन के बीच मुकाबला, जटिल राजनीतिक गठबंधन और समर्थन आधार के साथ, इस चुनाव के महत्व को रेखांकित करता है. दोनों उम्मीदवारों को प्रभावशाली हस्तियों का समर्थन प्राप्त है और उन्हें विविध मतदाता जनसांख्यिकी का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए परिणाम सहानुभूति लहर, गठबंधन की गतिशीलता और स्थानीय समर्थन सहित विभिन्न कारकों पर निर्भर करेगा. अंततः, नतीजे झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य को आकार देंगे और इसकी गूंज इसकी सीमाओं से परे भी होगी, जिससे दुमका चुनाव देखने लायक एक महत्वपूर्ण घटना बन जाएगी.
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