JoharLive Desk

रेलवे बोर्ड ने डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) पर तेज रफ्तार मालगाड़ियों को चलाने के लिए 2600 ड्राइवरों को भर्ती करने का फैसला किया है। बेरोजगार युवाओं को नए साल में डीएफसी में नौकरी करने का मौका मिलेगा। डीएफसी में भर्ती होने वाले ड्राइवरों को कैप्टन और को-कैप्टन के नाम से जाना जाएगा।

रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि अक्तूबर के अंत तक पूर्वी डीएफसी पर खुर्जा से भदान (कानपुर) के बीच कॉमर्शियल मालगाड़ियों का परिचालन शुरू हो जाएगा। डीएफसी ने फिलहाल रेलवे से ड्रावइर लेकर मालगाड़ियों को चलाने का फैसला किया है। इसके साथ ही प्रथम चरण में 2600 कैप्टन और को-कैप्टन की भर्ती करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि आगामी जनवरी से अप्रैल तक 2600 में से 50 फीसदी कैप्टन और को-कैप्टन की भर्ती कर ली जाएगी। शेष पदों को 2020 दिसंबर तक प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

पूर्व रेल मंत्री नीतिश कुमार ने चालकों की मांग पर लोको पॉयलट और असिस्टेंट लोको पॉयलट नाम रखा था। उनका तर्क था कि ट्रेन ड्राइवर बुलाने पर ट्रक ड्राइवर जैसा महसूस होता है। इसके बाद रेलवे में ड्राइवर को लोको पॉयलट कहना शुरू कर दिया गया। ड्राइवर एसोसिएशन के संजय पांधी ने कहा कि ड्राइवर का नाम बदला, सेवा शर्तों और सुविधाओं में कोई बदलाव नहीं हुआ है। उनके लंच, डिनर, ब्रेकफास्ट का कोई टाइम आज तक तय नहीं हुआ। तय घंटे से अधिक ट्रेन-मालगाड़ी चलाना परंपरा बन गया है।

डीएफसी के ट्रेन ड्राइवर का नाम लोको पॉयलेट के स्थान पर कैप्टन रखा गया है। इसके साथ ही उनका वेतन भी रेल ड्राइवर से 1.3 गुना अधिक होगा। क्योंकि कैप्टन को मालगाड़ियों को 110 किलोमीटर प्रतिघंटा की अधिकतम रफ्तार पर दौड़ाना है। अधिक जोखिम के चलते कैप्टन के रनिंग भत्ते (प्रति किलोमीटर भत्ता) बेहतर होंगे। डीएफसी पर मालगाड़ियां टाइम टेबल पर चलेंगी। दिल्ली से मुंबई और दिल्ली से कोलकाता मालगाड़ी 20 घंटे में पहुंचेगी। यात्री ट्रेन 17-18 घंटे लेती है।

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