साल 2022 का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर कार्तिक अमावस्या के दिन पड़ रहा है. कार्तिक अमावस्या के दिन ही दिवाली का त्योहार मानाया जाता है. इस बार दिवाली के दिन ही सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. ऐसा 27 साल बाद होने जा रहा है. ऐसे में लोगों पर सूर्य ग्रहण का दुष्प्रभाव पड़ने वाला है. सूर्य ग्रहण पर उसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए ज्योतिष शास्त्र में कुछ उपायों के बारे में बताया गया है.
बता दें कि कार्तिक अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर शाम 05 बजकर 27 मिनट से लेकर अगले दिन 25 अक्टूबर शाम 04 बजकर 18 मिनट तक रहेगी. ऐसे में सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले 24 अक्टूबर को मध्यरात्रि से ही प्रारंभ हो जाएगा.
कब लगेगा सूर्य ग्रहण का सूतक काल
बताया जा रहा है कि इस बार लगने वाला सूर्य ग्रहण भी आंशिक ही है और इसे साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण बताया जा रहा है. सूर्य ग्रहण का सूतक काल 24 अक्टूबर यानि दिवाली की रात 02 बजकर 30 मिनट पर लगेगा, जो अगले दिन 25 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 22 मिनट सूर्य ग्रहण के बाद ही समाप्त होगा.
27 साल बाद बन रहा है ये संयोग
दिवाली के दिन सूर्य ग्रहण का संयोग आज से 27 साल पहले 1995 में बना था. इस बार लगने वाला सूर्य ग्रहण को आंशिक बताया जा रहा है. इसका आरंभ 25 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 29 मिनट पर होगा और शाम 06 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 3 मिनट तक रहेगी.
सूतक काल में न करें ये काम
– ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण को एक अशुभ घटना माना जाता है और इसके सूतल काल से ही शुभ और मांगलिक कार्यों को करने की रोक लगा जाती है.
– ग्रहण के दौरान भोजन करना वर्जित होता है.
– ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि इस दौरान दांत साफ करना और कंघी करने की भी मनाही होता है. इन कार्यों को करना अशुभ फल दे सकता है.
– मान्यता है कि सूतक काल से ही गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें.
सूर्य ग्रहण के दौरान करें ये उपाय
– सू्र्य ग्रहण के दौरान कोई शुभ काम नहीं किया जाता. इस समय पूजा-पाठ भी न करें.
– किचन में रखीं खाने की चीजों में तुलसी के पत्ते डाल दें.
– सूतक काल से लेकर ग्रहण पूर्ण होने तक सिर्फ ईश्वर की अराधना करें. एक स्थान पर बैठकर भगवान के भजन और मंत्र जाप आदि करें.
– ग्रहण पूरा होने के बाद मकान, दुकान, प्रतिष्ठा की साफ सफाई करें. घर और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें. अगर संभव हो तो घर में नमक के पानी से सफाई करें.
– ग्रहण के बाद खुद भी स्नान करें और देवी-देवताओं को भी स्नान कराएं. खाने की चीजों पर गंगाजल छिड़क कर उन्हें शुद्ध करें और उसके बाद ही ग्रहण करें.