नई दिल्ली : सेम सेक्स मैरिज या समलैंगिक विवाह पर देश की सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया है. 5 जजों की पीठ ने 3-2 से यह फैसला लिया है. इसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट व जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल रहे. खास बात यह है कि बेंच ने पहले ही साफ किया है कि यह मामला स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के दायरे में रहेगा. बता दें कि इस मामले में कोर्ट ने 11 मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. वहीं, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से एलजीबीटी (लेस्बियन, गे, बायोसेक्सुअल व ट्रांसजेंडर) समुदाय को झटका लगा है.
फैसले में जस्टिस कोहली, जस्टिस भट्ट व जस्टिस नरसिम्हा की राय सीजेआई चंद्रचूड़ और जस्टिस कौल से अलग रही. ऐसे में फैसला 3-2 का हो गया और अदालत ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया. 3-2 के साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि नॉन हेट्रोसेक्शुल को साझा रूप से बच्चा गोद लेने की अनुमति नहीं दे सकते.
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