वैदिक दर्शन शास्त्र या यूं कहुँ कि इतिहास, शिवलिंग से शुरू हो, शिवलिंग में ही विलीन ही जाता है।
यहां मैं भविष्य को इतिहास क्यूँ बोल रहा हूं, इसका भी कारण है। यह सब होने वाला है, वो सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के आलौकिक दिमाग में पहले से ही रचा जा चुका है। वह तीनो आयामों और भूत, वर्तमान और भविष्य का संगम स्थल है। तीनों मुख्य आयाम यानि नक्षत्रीय, भौतिक और पाताल लोक।
शिवलिंग का अंडाकार दर्शाता है ऐसी स्तिथी, जिसका ना आरम्भ है, ना अंत। उसी प्रकार सृष्टि का भी ना तो कुछ आदी है और ना अंत। इसके कई स्तर हैं। कुछ जो मनुष्य अपनी इन्द्रियों से देख, समझ या महसूस कर सकता है, कुछ जो उसकी इन्द्रियों की सीमा से परे है। जिन्हें वो अपनी सीमित पांच इंद्रियों द्वारा नहीं समझ सकता। यही एकमात्र कारण है की बड़ी संख्या में लोग यथार्थ को पौराणिकता का नाम दे देते हैं। अत: सृष्टि के स्तरों को समझने के लिये, सृष्टि के सत्य को समझने के लिये गुरु का होना आवश्यक है। सिर्फ गुरु में ही सामर्थ्य है कि वह आपके उच्च आयामों के दरवाजे खोल, अन्य लोकों के देखने-समझने की आपकी शक्ति को विकसित करते हैं। बिल्कुल किसी कंप्यूटर के अपग्रेडेशन की तरह। उदाहरण के तौर पर एक कम्प्यूटर जो पेंटियम 2 मूलभूत कार्यक्रम पर काम करता है, वह कोर आई5 की दुर्गमता का समाधान नहीं कर सकता।
इसी प्रकार सृष्टि के सत्य और आलौकिक रहस्यों को समझाने के लिये शिव ने आदि गुरु का रूप लिया और माँ पार्वती उनकी पहली शिष्या बनीं। माँ पार्वती को उन्होनें तीनों लोकों के रहस्य बताये। मूलतः यह माँ पार्वती का शक्ति के रूप में उन्नयन था। यह गुरु-शिष्य के सम्बंध का प्रतीक है जिसमें गुरु शक्तिपथ द्वारा अपने शिष्य का चेतना सामर्थ बढा, उसे उन्नत कर देते हैं।
शिवरात्रि शिव में शक्ति के विलीन होने की रात्रि है। जो तभी संभव है जब समुचित शक्ति और चेतना के साथ खुद को गहन ध्यान की स्तिथी में ले जाये। तभी सृष्टि के आलौकिक रहस्य के पर्दे खुलेंगे। गुरु द्वारा दिए गए मंत्र इस दिन शक्तिशाली जो जाते हैं। गुरु द्वारा बताई गई सटीक क्रियाविधि से रहस्यमई आयामों के द्वार खुलते हैं और शिष्य उन अनुभवों और ज्ञान को प्राप्त कर पाता है, जो मानव की सीमित बुद्धि में संभव नहीं। मूलतः पेंटियम 2 से कोर आई 5 का अपग्रेड।
इस महाशिवरात्रि शिव की शक्ति को प्रतिध्वनित करें 11 मार्च, 2021 को रात्रि 8 बजे से।
दैवीय शक्तियों से वार्तालाप और अनुभव करें, बिल्कुल जीवन में एक बार मिलने वाला मौके जैसा।
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हवन के बाद विषेश ध्यान, मंत्र साधना और जल अभिषेक करें। इसके बाद गुरुजी लाइव जुड़ेंगे।
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