नवरात्रि का नौवा दिन : अश्विन शुक्लपक्ष की नवमी तिथि 7 अक्टूबर सोमवार को माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री माँ की उपासना का विधान है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं साथ ही केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। माँ सिद्धिदात्री की पूरी निष्ठा और भक्ति से पूजा अर्चना करने वाले भक्तों और साधकों को समस्त सिद्धियों नव निधियों की प्राप्ति होती है । इनकी कृपा से मनुष्य अत्यंत दुःख को भी आसानी से पार कर जाता है तथा मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही सिद्धियों को प्राप्त किया था। माँ की अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था जिससे भगवान ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुए।माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप प्रकाशमान है। ये चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर आसीन हैं। शंख, चक्र, गदा और कमल पुष्प से इनकी भुजाएं सुशोभित है। नवमी के दिन माता को नारियल का नैवेध लगाना चाहिए। माँ सिद्धिदात्री की पूजा में इस मन्त्र का जाप करना चाहिए – या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
आचार्य प्रणव मिश्रा आचार्यकुलम, अरगोड़ा, रांची। 9031249105