Sharadiya Navratra 2024 : अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को आदि महाशक्ति मां दुर्गा के नव रूपों की आराधना का शारदीय नवरात्र 3 अक्तूबर गुरुवार से प्रारंभ होगा. इस बार नवरात्र में मां दुर्गा का आगमन डोली पर होगा जो बहुत ही पुण्यदायी और शुभ फलकारी होगा. नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ ब्राम्हण द्वारा या स्वयं करना शुभ फलदयी होता है, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है. वहीं, विजयादशमी भगवान राम द्वारा की गई शक्ति पूजा पर आधारित है.

अश्विन माह की नवरात्र की प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर गुरुवार से शुरू प्रारंभ होकर 12 अक्टूबर  विजया दशमी के साथ संपन्न होगा.

शारदीय नवरात्र की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापन गुरुवार 3 अक्तूबर को प्रातः काल से संध्या 03:17 बजे तक किसी भी समय कर सकतें हैं.

नवरात्र के  इस महोत्सव में चतुर्थी तिथि की वृद्धि हो गई है, जबकि नवमी तिथि क्षय है. इसलिए महाष्टमी और महानवमी दिनों के व्रत का मान 11 अक्तूबर शुक्रवार को होगा. पूजा पंडालों में संधि पूजा 11 अक्तूबर को प्रातः 06: 28 से 07: 16 बजे के बीच की जाएगी. पूर्ण नवरात्र व्रत का पारण 12 अक्तूबर शनिवार को प्रातः काल किया जाएगा.

नवरात्र की तिथियां

3  अक्तूबर प्रतिपदा

4  अक्तूबर द्वितीया

5  अक्तूबर तृतीया

6/7  अक्तूबर चतुर्थी

8  अक्तूबर पंचमी

9  अक्तूबर षष्ठी

10 अक्तूबर  सप्तमी

11  अक्तूबर अष्टमी ,नवमी

12 अक्तूबर  दाशमी

नवरात्र में नव दुर्गा की आराधना

प्रतिपदा तिथि :- इस दिन माता शैल पुत्री का ध्यान किया जाता है.  पर्वत राज हिमालय की पुत्री होने के करना इन्हें शैल पुत्री कहा गया. इस दिन देवी के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से मां आजीवन अरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करती है.

द्वितीया तिथि :- इस दिन माता ब्रह्मचारिणी का ध्यान किया जाता है. इस दिन माता को शक्कर का भोग लगाने से मां प्रसन्न होती है और लंबी आयु का वरदान देती है.

तृतीया तिथि :- इस दिन माता का तीसरा स्वरूप माता चंद्रघंटा का ध्यान होता है. इस दिन माता को दूध और दूध से बने पकवान का भोग लगाकर ब्राम्हणों को देने से मां प्रसन्न होती है और सभी पापों से मुक्त कर वीरता में वृद्धि करती है.

चतुर्थी तिथि :- इस दिन माता का चौथा स्वरूप माता कुष्मांडा का ध्यान किया जाता है. इस दिन मां को मालपुवा का भोग लगाने से  सिद्धी निधि को प्राप्त करता है साथ ही भक्त की आयु आरोग्य में वृद्धि होती है.

पंचमी तिथि :- इस दिन मां स्कंदमाता का ध्यान  ध्यान किया जाता है. इस दिन माता को केले का भोग लगाने से निरोगी काया मिलती है.

षष्ठी  (बेलवरण) तिथि :- इस दिन माता कात्यायनी के स्वरूप का ध्यान गौ धुली बेला में किया जाता है. इस दिन इन्हें शहद का भोग लगाना उत्तम माना गया है.

सप्तमी तिथि  :- सप्तमी तिथि को माता कालरात्रि के स्वरूप की आराधना की जाती है. इस दिन माता को गुड़ का भोग लगाकर ब्राम्हणों को दान देने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है.

महा अष्टमी :- इस दिन माता माता महागौरी की आराधना पूजन किया जाता है. इस दिन माता को नारियल का भोग लगाया जाता है. इससे चेहरे में कांति आती है.  सुख में वृद्धि होती है और शत्रुओं का नाश होता है.

नवमी तिथि :- इस दिन माता के नवा स्वरूप सिद्धिदात्री का ध्यान किया जाता है. इस दिन माता को तिल का भोग लगाने से मृत्यु का भय और अनहोनी घटनाएं नही होती है.

 

 

 

 

 

 

 

प्रसिद्ध ज्योतिष
आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम अरगोड़ा राँची
8210075897

 

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