Sharad Purnima 2024: आज शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है, जिसे कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. यह आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि है, जब चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होकर अपनी पूरी चमक बिखेरता है. इस रात को चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं, जिसे लेकर लोग छत या आंगन में खीर रखते हैं, ताकि ये गुण उसमें समाहित हो सकें.
श्रीकृष्ण का महारास
शरद पूर्णिमा का संबंध भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला से भी है. मान्यता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने वृंदावन में गोपियों के साथ महारास किया था. यह एक दिव्य और आध्यात्मिक अनुभव था, जहां श्रीकृष्ण ने अपनी योगमाया से गोपियों के साथ नृत्य किया, जिससे उन्हें ऐसा अनुभव हुआ कि वह केवल उनके साथ हैं. यह घटना प्रेम और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है.
मां लक्ष्मी का आशीर्वाद
इस दिन मां लक्ष्मी का भी विशेष महत्व है. कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को धन और समृद्धि का वरदान देती हैं. व्यापारी वर्ग इस अवसर को लक्ष्मी की कृपा पाने का अनुकूल समय मानता है.
विशेष उपाय और परंपराएँ
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाना और उसका सेवन करना शुभ माना जाता है. इसके साथ ही, इस रात कुछ विशेष उपाय करने से मंगलकारी फल की प्राप्ति होती है. 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का यह पर्व लोगों के लिए विशेष आशीर्वाद और समृद्धि का संदेश लेकर आता है.