रांची : झारखंड पुलिस में स्वान दस्ते को मजबूत करने के लिए एक साथ 07 नये प्रशिक्षित स्वान को भर्ती किया है. सभी सात स्वान उच्च कोटि के लैब्राडोर नस्ल के हैं. जिसे RVC (Remount Veterinary Corps) Centre and College, Meerut Cantt. के माध्यम से खरीद को अंतिम रूप दिया गया है. बता दें कि श्वानों को उनकी सूंघने की शक्ति के कारण प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जिसमें नाक के म्यूकोसा में 225 मिलियन रिसेप्टर कोशिकाएं होती हैं, जो श्वानों की सूंघने की क्षमता को इंसानों से 40-45 गुना बेहतर बनाती हैं.
श्वानों में सूंघने की क्षमता के अलावा, सुनने की क्षमता (इंसानों से 4 गुना बेहतर), दृष्टि (चलती वस्तुओं को हमसे बेहतर तरीके से पहचान सकती है) और छठी इंद्री (कम आवृत्ति चेतावनी कंपन का पता लगा सकती है) जो श्वानों को प्रशिक्षण के लिए महत्वपूर्ण बनाती है. स्नीफर श्वान प्रशिक्षण में शामिल की गई नवीनतम तकनीको में विस्फोटक को छिपाने के लिए गोबर, यूरिया और राख का उपयोग करके बाहरी गंध की उपस्थिति में लक्ष्य की गंध का पता लगाने के लिए स्नीफर श्वान की कंडीशनिंग पर जोर दिया जा रहा है.
साथ ही राष्ट्रविरोधी तत्वों द्वारा नये तरीके को अपनाने के संबंध में फील्ड से प्राप्त इनपुट के आधार पर प्रशिक्षण में नवीनतम तकनीकों को शामिल किया गया. इसके अलावे मानव बम/चलती आई०ई०डी० का पता लगाने के लिए मानव शरीर की तलाशी की शुरूआत और विस्फोट के बाद की जांच में स्नीफर श्वान द्वारा तलाशी. इसमें लैब्राडोर श्वान अपने शांत स्वभाव और बेहतर बुद्धिमत्ता के कारण सफल और भरोसेमंद स्नीफर श्वान साबित हुए हैं. ये श्वान राष्ट्रविरोधी तत्वों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के विस्फोटकों का पता लगाते हैं.
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