रांची। राज्यभर में थानों के मालखाना प्रभारी अब अलग से नियुक्त किए जाएंगे। राज्य पुलिस मुख्यालय जल्द ही इस पर आदेश जारी करेगा।मालखाना का प्रभार लंबित रहने के कारण कनीय अफसरों को काफी दिक्कतों का सामान करना पड़ता है। पुलिसकर्मियों का वेतन तो रोक ही दिया जाता है, रिटायरमेंट के बाद भी पुलिसकर्मियों को पेंशन मिलने में समस्या आती है।

बता दें कि दारोगा लालजी यादव खुदकुशी मामले के बाद झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने डीजीपी से मांग की थी कि थानेदारों को मालखाना के प्रभारी के तौर पर दारोगा रैंक के अधिकारी की अलग से पोस्टिंग होती है। मालखाने के रख-रखाव की जिम्मेदारी थानेदार की होती है, लेकिन अन्यत्र स्थानांतरित होने पर मालखाना का प्रभार ससमय एवं ठीक ढंग से नहीं होता है। पुलिस एसोसिएशन ने तर्क दिया था कि मालखाना का रख-रखाव व अद्यतन करना समय साध्य काम है। थानेदारों पर वर्कलोड होता है, जिसके कारण ठीक से रखरखाव नहीं हो पाता। जिला से स्थानांतरित होने पर ऐसे अफसरों को एलपीसी नहीं मिल पाता। ऐसे में वेतन की निकासी नहीं हो पाती और पुलिसकर्मियों में मानसिक तनाव होता है।

दो साल तक मालखाना प्रभारी के तौर पर हो पोस्टिंग
पुलिस एसोसिएशन ने सुझाया था कि प्रत्येक थाने के मालखाना के लिए एक दारोगा स्तर के पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति मालखाना प्रभारी के तौर पर की जाए। एक थाने में दो साल मालखाना प्रभारी का काम करने के बाद ही उस पदाधिकारी को तीसरे साल पसंद के थाने में पोस्टिंग दी जाए। बिहार में प्रत्येक थाने में मालखाना प्रभारी की व्यवस्था है। एसोसिएशन ने पुलिस मुख्यालय से निलंबन के मामलों में भी नियमसम्मत कार्रवाई की मांग की है। लालजी यादव के मामले में भी उच्चस्तरीय जांच के लिए डीजीपी को पत्र लिखा गया है।

20 दिन का क्षतिपूर्ति अवकाश दें: एसोसिएशन
पुलिसकर्मियों के बीच काम के बढ़ते तनाव व छुट्टियों से जुड़े मामलों में झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पत्राचार किया है। पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह व महामंत्री अक्षय कुमार राय ने राज्य के अलग अलग हिस्सों में पुलिस एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इसके बाद मुख्यमंत्री से पत्राचार किया है। मुख्यमंत्री को पुलिस एसोसिएशन ने जानकारी दी है कि पुलिसकर्मियों को त्योहारों में काम करना होता है। वहीं सरकार के दूसरे विभागों की तुलना में पुलिसकर्मी 48 शनिवार, 48 रविवार और 34 दिनों के राजपत्रित अवकाश मिलाकर 120 दिनों की अतिरिक्त सेवा देते हैं।

प्रत्येक कार्य दिवस पर 12 से 16 घंटे का काम करना होता है। यही वजह थी कि सरकार ने बिहार की तर्ज पर एक माह के अतिरिक्त वेतन का प्रावधान लागू किया था, लेकिन 30 दिनों के वेतन के बदले 20 दिन का क्षतिपूर्ति अवकाश समाप्त कर दिया गया। ऐसे में पुलिसकर्मी 10 दिन की सेवा के बदले सरकार पैसा देकर 130 दिनों का अतिरिक्त कार्य करा रही है। एसोसिएशन ने लिखा है कि पुलिस विभाग में कार्य के दबाव व कार्य की प्रकृति के कारण पुलिसकर्मी मानसिक दबाव और अवसाद में होते हैं। अवकाश नहीं मिलने पर भी पुलिसकर्मियों के द्वारा अप्रिय कदम उठाए जाते हैं।

डीजीपी कर चुके है क्षतिपूर्ति अवकाश देने की अनुशंसा
मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में एसोसिएशन ने बताया है कि झामुमो के घोषणापत्र में भी पुलिसकर्मियों को क्षतिपूर्ति अवकाश दिलाने की बात थी। ऐसे में सरकार इस वादे को पूरा करे। मुख्यमंत्री को बताया गया है कि राज्य के डीजीपी भी क्षतिपूर्ति अवकाश लागू करने की अनुशंसा कर चुके हैं। मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में एसोसिएशन ने चेताया है कि अगर पुलिसकर्मियों की भावनाओं और मांगों को नहीं माना गया तो राज्यव्यापी असंतोष के कारण एसोसिएशन आंदोलन के लिए बाध्य होगा।

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