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SEBI ने अडानी की 6 कंपनियों को भेजा कारण बताओ नोटिस, जानें क्या है मामला

नई दिल्ली : गौतम अडानी की 6 कंपनियों को सेबी से कारण बताओ नोटिस मिला है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अडानी एंटरप्राइजेज को दो कारण बताओ नोटिस भेजे हैं. सेबी का कहना है कि कंपनी ने लिस्टिंग एग्रीमेंट और डिस्क्लोजर आवश्यकताओं (एलओडीआर नियमों) से संबंधित नियमों का पालन नहीं किया है.

कंपनियों ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में इसका खुलासा किया है. अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन, अडाणी पावर, अडाणी एनर्जी सॉल्यूशंस, अडाणी विल्मर और अडाणी टोटल गैस ने भी यह जानकारी दी. यह वित्तीय वर्ष 2024 की चौथी तिमाही के नतीजों से जुड़ा मामला है. कंपनी ने कहा कि सेबी द्वारा कथित गैर-अनुपालन तीसरे पक्ष के साथ कुछ लेनदेन के संबंध में पार्टी लेनदेन और वैधानिक लेखा परीक्षकों के समीक्षक प्रमाणपत्रों की वैधता से संबंधित है.

कंपनी ने कहा कि जनवरी 2023 में अदानी समूह की कंपनियों पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद, अदानी एंटरप्राइजेज ने एक कानूनी फर्म द्वारा एक स्वतंत्र मूल्यांकन के माध्यम से अप्रैल 2023 में शॉर्ट-सेलर रिपोर्ट (एसएसआर) में संदर्भित लेनदेन की समीक्षा की थी. कंपनी ने स्पष्ट किया कि लॉ फर्म के मूल्यांकन से पता चला है कि एसएसआर का मूल कंपनी या उसकी सहायक कंपनियों से कोई संबंधित पक्ष नहीं है.

नोटिस का कोई असर होने की संभावना नहीं

अडाणी समूह ने कहा कि नियामक के नोटिस का कानूनी आधार पर कोई असर होने की संभावना नहीं है. हालांकि, कुछ कंपनियों को छोड़कर, सेबी की जांच के नतीजे भविष्य में वित्तीय विवरणों को प्रभावित कर सकते हैं. अडानी एंटरप्राइजेज के ऑडिटर्स की राय में कहा गया है कि हम परिस्थितियों में किसी भी बदलाव या उपलब्ध अतिरिक्त जानकारी के आधार पर अपनी राय पर इस मामले के प्रभाव का मूल्यांकन करना जारी रखेंगे.

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद सूचना

अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी ग्रुप के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सेबी की जांच के बाद सेबी ने यह नोटिस जारी किया है. कारण बताओ नोटिस कोई बड़ी कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह कंपनियों को यह बताने के लिए है कि उनके खिलाफ मौद्रिक दंड सहित कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए.

क्या है आरोप?

सेबी के नोटिस के अनुसार, यह आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने अपेक्षित अनुमोदन प्राप्त नहीं किया है और वित्तीय विवरणों में आवश्यक खुलासे नहीं किए हैं. गौरतलब है कि सेबी ने अगस्त में सुप्रीम कोर्ट को दी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उसने 13 विशिष्ट संबंधित पक्ष लेनदेन की पहचान की है. जहां वह अंतर्निहित सौदे की जांच कर रहे हैं.

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