नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (SC) बच्चों के इंटरसेक्स ऑपरेशन पर याचिका का परीक्षण करने के लिए तैयार हो गया है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस भी जारी किया है और उनसे जवाब मांगा है. अदालत ने याचिका पर एएसजी ऐश्वर्या भाटी से सहायता करने के लिए भी कहा है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में देशभर में हो रहे इंटरसेक्स ऑपरेशनों पर न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई है.

वकील ने याचिकाकर्ता की ओर से क्या कहा

याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने कहा कि तमिलनाडु एकमात्र ऐसा राज्य है, जो इस ऑपरेशन पर प्रतिबंध लगाता है, जहां बच्चो ने सहमति भी दी हुई है. अन्य जगहों पर इस तरह के इंटरसेक्स ऑपरेशन को अपराध माना जाता है. इसमें कहा गया है कि इसे लेकर हमारे पास कोई कानूनी तंत्र नहीं है. इसके बाद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने मामले पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कार्यवाही में सहायता मांगी।

2019 में मद्रास हाई कोर्ट ने लगाई रोक

मद्रास हाई कोर्ट के आदेश से तमिलनाडु सरकार ने उन शिशुओं पर सेक्स असार निर सर्जरी पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिनका लिंग जन्म के समय स्पष्ट नहीं होता. हाई कोर्ट ने पहले कहा था कि जीवन-घातक स्थितियों को छोड़कर ऐसी सर्जरी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.

इंटरसेक्स सर्जरी के साइड इफेक्ट

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, लगभग 1.7 प्रतिशत बच्चे ऐसी यौन विशेषताओं के साथ पैदा होते हैं जो पुरुष और महिला की कैटेगरी में नहीं आते. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इंटरसेक्स बच्चों के लिंग और रूप-रंग को ठीक करने के लिए बार-बार की जाने वाली सर्जरी है. इसके कई साइड-इफेक्ट हैं, जिसमें स्थायी बांझपन, आजीवन दर्द, यौन संवेदना न होना और मानसिक पीड़ा तक शामिल है.

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