नई दिल्ली : किसान आंदोलन को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये एक संजीदा मामला है. सिर्फ मीडिया रिपोर्ट्स, पब्लिसिटी हासिल करने के लिए ऐसी याचिका दाखिल नहीं करनी चाहिए. वैसे भी ये मामला अब हाईकोर्ट में पेडिंग है. आप हाईकोर्ट के सामने अपनी बात रख सकते हैं. याचिकाकर्ता ने अर्जी वापस ले ली है.

कोर्ट ने जताई नाराजगी

इस याचिका पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की तो याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने की गुहार लगाई. जिसकी कोर्ट ने इजाजत दे दी. कोर्ट ने कहा कि ये गंभीर मामला है और सिर्फ मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर याचिका दाखिल नहीं की जानी चाहिए. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने याचिकाकर्ता एगनोस्तोस थियोस के खेद जताने के बाद याचिका वापस लेने की मंजूरी दे दी.

जस्टिस कांत ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि ‘ये बहुत गंभीर विषय है और सिर्फ अखबारों की रिपोर्ट्स के आधार पर प्रचार पाने के उद्देश्य से याचिकाएं दायर नहीं की जानी चाहिए. जो लोग इन मुद्दों को लेकर गंभीर हैं और इनके प्रति समर्पित हैं, उन्हें ही याचिकाएं दायर करनी चाहिए. अगर आपने अखबार की रिपोर्ट्स पढ़ी हैं तो आपको पता होना चाहिए कि हाईकोर्ट इस मामले पर सुनवाई कर रहा है और हाईकोर्ट ने इस मामले में कई निर्देश जारी किए हैं. अगली बार सावधान रहें और रिसर्च के बाद ही ऐसा करें.’

याचिका में की गई थी ये मांगे

सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि याचिका में यह निर्देश जारी करने की मांग की गई है कि सरकार आंदोलनकारी किसानों की मांगों पर विचार करे. किसानों के साथ उचित व्यवहार किया जाए. दिल्ली जाने का रास्ता खोला जाए और किसानों को राजधानी में प्रवेश करने दिया जाए. याचिका में कहा गया है कि विरोध-प्रदर्शन करना किसानों का अधिकार है और इसलिए उन्हें दिल्ली जाने और प्रदर्शन करने से ना रोक जाए. इसमें कहा गया है कि उनके लोकतांत्रिक अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है इस कारण यह रिट दाखिल की गई है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि किसान शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसानों की एमएसपी पर गांरटी की मांग

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान केंद्र सरकार से एमएसपी की गारंटी की मांग के साथ सड़कों पर हैं. वे एमएसपी पर कानून की मांग कर रहे हैं.

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