रांचीः निर्दलीय विधायक सरयू राय ने आइएएस और आइपीएस की ट्रांसफर पोस्टिंग पर सवाल उठाए हैं। इसको लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है। पत्र में कहा है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के अपरिपक्व स्थानांतरण सरकार द्वारा किया गया है। वर्ष 2020 मे 65, 2021 मे 69 और 2022 मे 80 प्रशासनिक पदाधिकारियों का स्थानांतरण राज्य सरकार ने उनके कार्यकाल की निर्धारित न्यूनतम अवधि पूरा होने के पहले किया है और ये स्थानांतरण सिविल सर्विसेज़ बोर्ड में समीक्षोपरांत किये गये हैं। वहीं कुछ दिन पहले कार्यकाल की निर्धारित अवधि पूरा होने के काफ़ी पहले पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त का स्थानांतरण भी सरकार ने कर दिया था। अब आठ सितंबर को पूर्वी सिंहभूम के वरीय पुलिस अधीक्षक और राँची के वरीय पुलिस अधीक्षक का स्थानांतरण भी उनके कार्यकाल की न्यूनतम निर्धारित अवधि पूरा होने के पहले कर दिया गया।

राजनीतिक हस्तक्षेप की आ रही बू

सरकार का यह निर्णय एक केन्द्रीय अधिनियम के तहत जारी भारत सरकार की अधिसूचना दिनांक 28.01.2014 और इसके आलोक में झारखंड सरकार द्वारा दिनांक 24.02.2015 को निर्गत अधिसूचना के तहत गठित सिविल सर्विसेज़ बोर्ड के प्रावधानों का उल्लंघन है तथा जिस भावना से ये अधिसूचनाएँ निर्गत की गई हैं उस भावना के भी विपरीत है। यहाँ यह कहना अप्रासंगिक नहीं होगा कि इन दोनों स्थानांतरणों में राजनीतिक हस्तक्षेप की बू आती है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को अनुचित एवं मनमाना राजनीतिक हस्तक्षेप से संरक्षण देना और उन्हें विधि सम्मत दायित्व का निर्वहन करने का अवसर देना ही केन्द्र द्वारा प्रासंगिक अधिनियम को पारित करने एवं उपर्युक्त अधिसूचनाओं को निर्गत करने का उद्देश्य है। अफ़सोस है कि राज्य सरकार एतदसंबंधी दायित्व का पालन करने के प्रति गंभीर नहीं प्रतीत हो रही है। इससे पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों का मनोबल टूटेगा, वे हतोत्साहित होंगे जिसका प्रतिकुल प्रभाव जनहित पर होगा। सरयू राय ने सीएम से आग्रह किया है कि हाल में हुए अपरिपक्व स्थानांतरणों को स्थगित करने तथा भविष्य के स्थानांतरणों में सिविल सर्विसेज़ बोर्ड के नियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराना चाहेंगे।

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