रांची: माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अचला सप्तमी, रथ सप्तमी, आरोग्य सप्तमी, भानु सप्तमी, अर्क सप्तमी आदि नामों से सम्बोधित किया गया है और इसे सूर्य की उपासना के लिए शुभ दिन माना गया है. यह शुक्रवार 16 फरवरी को मनाया जाएगा. प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि सप्तमी 15 फरवरी को दिन में 03:43 में प्रवेश करेगा. वहीं 16 को 02:04 दोपहर तक रहेगा. इसलिए रथसप्तमी का व्रत 16 फरवरी को मनाया जाएगा.
इस दिन चंन्द्रमा उच्च के होकर रोहिणी नक्षत्र में विराजमान होंगे. वहीं पूरे दिन भर लक्ष्मीनारायण योग बना रहेगा. सूर्य भगवान को भी नारायण कहा जाता है. इसलिए आज के दिन भगवान भास्कर को पूजने का बहुत ही उत्तम दिन है. सूर्य को पिता, प्रतिष्ठा, संतान, नेत्र, आकर्षण और राज्य कारक माना गया है. इनमें से जिस चीज़ की कमी हो सूर्य पूजन से आसानी से प्राप्त हो जाता है. पुत्र रक्षा एवम उसकी उन्नति के लिए इस दिन संतान सप्तमी का व्रत किया जाता है. नारद पुराण में माघ शुक्ल सप्तमी को “अचला सप्तमी का व्रत” कहा गया है. यही “भास्कर सप्तमी” भी कहलाती है, जो करोङों सूर्य-ग्रहणों के समान है. इसमें अरूणोदय के समय स्नान किया जाता है.
भगवान सूर्य देव जिस तिथि को पहले रथ पर आरूढ़ हुए, वह दिन माघ मास की सप्तमी बताई गयी है इसलिए इसे रथसप्तमी के नाम से भी जाना जाता है. उस तिथि को दिया हुआ दान और किया हुआ यज्ञ सब अक्षय माना जाता है. वह सब प्रकार की दरिद्रता को दूर करने वाला और भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त करने का व्रत है. सूर्य को अपनी भार्या उत्तरकुरु में सप्तमी तिथि के दिन प्राप्त हुई, उन्हें दिव्य रूप सप्तमी तिथि को ही मिला तथा संताने भी इसी तिथि को प्राप्त हुई इसलिए सप्तमी तिथि भगवान् सूर्य को अति प्रिय हैं.
यहां तक कि भगवान श्रकृष्ण कहते है–
शुक्ल पक्षकी सप्तमी तिथि को यदि आदित्यवार (रविवार) हो तो उसे विजय सप्तमी कहते है. वह सभी पापोका विनाश करने वाली है. इस दिन किया हुआ स्नान, दान, जप, होम तथा उपवास आदि कर्म अनन्त फलदायक होता है. जो उस दिन फल् पुष्प आदि लेकर भगवान सूर्यकी प्रदक्षिणा करता है. वह सर्व गुण सम्पन्न उत्तम पुत्र को प्राप्त करता है. आक और बेर के सात-सात पत्ते सिर पर रखकर स्नान करना चाहिए. इससे सात जन्मों के पापों का नाश होता है. इसी सप्तमी को ‘’पुत्रदायक” व्रत भी बताया गया है. स्वयं भगवान सूर्य ने कहा है – ‘जो माघ शुक्ल सप्तमी को विधिपूर्वक मेरी पूजा करेगा, उसपर अधिक संतुष्ट होकर मैं अपने अंश से उसका पुत्र होऊंगा’. इसलिये उस दिन इन्द्रियसंयमपूर्वक दिन-रात उपवास करे और दूसरे दिन होम करके ब्राह्मणों को दही, भात, दूध और खीर आदि भोजन कराए.
प्रसिद्ध ज्योतिष
आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम, अरगोड़ा,राँची
8210075897