जामताड़ा : आदिकाल से संघर्ष की भूमि के रूप में इस संथाल परगना क्षेत्र की पहचान बनी हुई है जब भी अन्य अत्याचार बढ़ा है सिद्धो-कान्हो, चांद-भैरव, फूलो-झानो, तिलका मांझी जैसी महान विभूतियों ने आंदोलन का रास्ता तैयार किया है, हथियार उठाया है और संघर्ष किया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा जिला कमेटी के द्वारा आयोजित 159 में संथाल परगना स्थापना दिवस महोत्सव के अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने अपने संबोधन में उक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि संथाल परगना में यहां की संस्कृति से जुड़े जितने भी धरोहर हैं उन्हें सामने लाने का काम करेंगे, उसे उजागर करेंगे ताकि आने वाली पीढ़ी पुरानी सांस्कृतिक गाथाओं को जान सके और याद रख सके। उन्होंने कहा कि हमारे देश में, राज्य में, समाज में भ्रष्टाचार, अनियमितता, समाज को बांटने का काम, आर्थिक शोषण आज भी व्याप्त है और इसके खिलाफ हम सभी को फिर से आंदोलन करने की जरूरत है ताकि हमारा हक और अधिकार हमें मिल सके। उन्होंने कहा कि संथाल परगना में सड़यंत्र करने वाले आज भी विराजमान हैं, उनके मंसूबों पर पानी फेरने के लिए यहां के लोगों को बहुत ही जागरूक रहने की जरूरत है, क्योंकि ऐसे लोग मौका पाकर कभी भी हमारा अहित कर सकते हैं। इस कार्यक्रम में मंच संचालन का दायित्व वरिष्ठ झामुम नेता आनंद टुडू ने की। झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सहयोगी रहे नरसिंह मुर्मू, मनोरथ मरांडी, रविंद्र नाथ दुबे, केंद्रीय कार्य समिति सदस्य सगीर खान, राजद जिला अध्यक्ष दिनेश यादव, अल्पसंख्यक मोर्चा जिला अध्यक्ष डॉक्टर अब्दुल मन्नान अंसारी, साकेश सिंह, जमीरूद्दीन अंसारी, मुखिया संघ के जिला अध्यक्ष देवीसन हांसदा, अजीत दुबे, बासुदेव मरांडी, अमित मंडल, मेरी सरांडी, विजय राउत, नंदत्ताल सोरेन इम्तियाज अंसारी, किशोर रवानी, रहीम अंसारी, नंदकिशोर सिंह, मंगोली सोरेन केलवे सैकड़ो की संख्या में कार्यकर्ता और सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र से भारी संख्या में महिला और पुरुष उपस्थित हुए।