Johar live desk : संजीता महापात्रा की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे एक अनचाही बेटी ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष किया और आज वह एक आईएएस अधिकारी हैं। उनका जन्म ओडिशा के राउरकेला में एक गरीब परिवार में हुआ था, और उनके माता-पिता ने उन्हें लगभग छोड़ दिया था क्योंकि वे एक बेटा चाहते थे। लेकिन उनकी बड़ी बहन ने उनके माता-पिता से जिद की, जिसके बाद उन्होंने संजीता को अपने पास रख लिया।
संजीता का बचपन कठिनाइयों से भरा था, और उन्हें अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए सामाजिक संगठनों, शिक्षकों, और छात्रवृत्तियों पर निर्भर रहना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। इसके बाद, उन्हें स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया में सहायक प्रबंधक की नौकरी मिल गई।
संजीता का सपना बचपन से ही आईएएस अधिकारी बनने का था, और उन्होंने अपने पति की प्रेरणा और समर्थन से 2019 में अपने पांचवें प्रयास में संघ लोक सेवा संघ (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की। आज, वह अमरावती जिला परिषद की सीईओ के रूप में काम कर रही हैं और महिलाओं को सशक्त बनाने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए काम कर रही हैं।
संजीता ने अपनी कहानी साझा करते हुए बताया कि उनके माता-पिता ने उन्हें लगभग छोड़ दिया था क्योंकि वे एक बेटा चाहते थे। लेकिन उनकी बड़ी बहन ने उनके माता-पिता से जिद की, जिसके बाद उन्होंने संजीता को अपने पास रख लिया। संजीता ने बताया कि उनका बचपन कठिनाइयों से भरा था, और उन्हें अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए सामाजिक संगठनों, शिक्षकों, और छात्रवृत्तियों पर निर्भर रहना पड़ा।
संजीता ने बताया कि जब उन्हें सेल में नौकरी मिली, तो उनके माता-पिता को पहली बार उनकी उपलब्धियों पर गर्व हुआ। उन्होंने बताया कि उनके पति ने उनके सपनों को पूरा करने में उनका पूरा साथ दिया और उन्हें आईएएस अधिकारी बनने के लिए प्रेरित किया।
आज, संजीता महापात्रा एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं कि कैसे एक अनचाही बेटी ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष किया और आज वह एक आईएएस अधिकारी हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हम अपने सपनों पर विश्वास करें और उनके लिए संघर्ष करें, तो हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं।
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