रांची: राजधानी के दूसरे सबसे बड़े सरकारी हास्पिटल सदर हास्पिटल की पुरानी बिल्डिंग को संरक्षित करने का काम शुरू हो गया है। एक करोड़ रुपए खर्च कर इस बिल्डिंग को हेरिटेज के रूप में बदला जा रहा है। जिसके तहत इसके मूल स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। वहीं जगह-जगह से डैमैज हो चुके भवन को दुरुस्त किया जाएगा। बता दें कि सरकार ने इस बिल्डिंग को बचाने के लिए एक करोड़ रुपए खर्च करने की स्वीकृति दी है।
1930 में बना था भवन
सदर हास्पिटल का पुराना भवन आजादी के पहले है। जिसका निर्माण अंग्रेजों ने 1930 में कराया था। करीब 93 साल पहले बना यह भवन आज भी काफी सुरक्षित है, क्योंकि इसकी दीवार 40 इंच मोटी है। सुरखी और चूना से छत की ढलाई की गई है। गर्मी के मोसम में भी यह भवन गर्म नहीं होता। इसलिए सदर हॉस्पिटल के पुराने भवन को धरोहर के रूप में संरक्षित करने की योजना बनाई गई। जबकि पहले यह भवन जर्जर होता जा रहा था। यह देखते हुए इस गिराने को लेकर विचार विमर्श चल रहा था। लेकिन बाद में इसे संरक्षित करने को लेकर सरकार ने स्वीकृति दी।
आजादी से पहले के पुराने उपकरण
सदर हॉस्पिटल के पुराने भवन को उसी रूप में संरक्षित किया जाएगा। भवन की दीवार और छत पर कुछ स्थानों पर पेड़-पौधे व घास उग आए हैं। उसे साफ कर छत व दीवार की मरम्मत की जाएगी। भवन के बाहरी व अंदर के हिस्से में चूना व अन्य सामग्री से रंगरोगन किया जाएगा, ताकि पुराने समय की याद धूमिल न हो। पुराने भवन में आजादी से पहले के कई उपकरण सामग्री को भी संरक्षित रखा जाएगा, ताकि वर्तमान व भविष्य की पीढ़ी को जानकारी मिल सके कि रांची में आजादी से पहले इलाज की क्या व्यवस्था थी।
80 बेड पर मरीजों का इलाज
हास्पिटल में पहले मरीजों के लिए 80 बेड थे। जिसमें पुरुष व महिलाओं के अलावा बच्चों का इलाज होता था। दो फ्लोर के इस हास्पिटल में बेसिक इलाज की सारी सुविधाएं मौजूद थी। बाद में इस हेरिटेज बिल्डिंग को छोड़ सभी पुराने भवनों को गिराकर नए भवन का निर्माण हुआ। आज इस कैंपस में हास्पिटल की मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बनकर तैयार है। 500 बेड से अधिक की व्यवस्था मरीजों के लिए की गई है। वहीं कई स्पेशियलिटी विभाग भी चालू हो गए है। जिससे कि मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।