Joharlive Desk
कोच्चि : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सबरीमाला मंदिर मामले की सुनवाई सात जजों की पीठ के पास भेज दिया था। हालांकि न्यायालय ने सरकार को अपना पूर्व में दिया गया फैसला लागू रखने का निर्णय दिया है। वहीं, कड़ी सुरक्षा के बीच भगवान अयप्पा मंदिर शनिवार शाम दो महीने तक चलने वाले तीर्थयात्रा के अवसर के लिए खुल गया है।
राज्य के पठानमथिट्टा जिले के पश्चिमी घाट में आरक्षित वन में स्थित मंदिर के कपाट आज शाम पांच बजे दो महीने के मंडलम मकारविलाक्कू के मौसम के लिए खोले गए। केरल और पड़ोसी राज्यों के विभिन्न हिस्सों से भक्तों ने नीलकाल और पंबा में पहुंचना शुरू कर दिया था।
श्रद्धालुओं ने सबरीमाला मंदिर में दर्शन किए। एक श्रद्धालु ने कहा कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश का अधिकार नहीं होना चाहिए।
सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने कहा- कल सरकार ने कहा था कि वह किसी तरह की सुरक्षा प्रदान नहीं करेगी। इसलिए महिलाएं बिना सुरक्षा के सबरीमाला मंदिर जा रही हैं। अब महिलाओं को रोका जा रहा है। सरकार पूरी तरह महिलाओं के खिलाफ काम कर रही है।
सबरीमाला मंदिर जाने से पहले श्रद्धालुओं ने निभाई सन्नीधनम की परंपरा।
पुलिस ने 10 महिलाओं को वापस भेजा। 10 से 50 साल की उम्र की ये महिलाएं आंध्र प्रदेश से सबरीमाला मंदिर दर्शन के लिए आई थीं।
तीर्थयात्रा को यात्रियों के लिए सुगम और परेशानी मुक्त बनाने के लिए सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार सुरक्षा के पुख्ता इंताजाम किए हैं। दूसरी ओर, कंदरारू महेश मोहनारू ने मंदिर के गर्भगृह को खोला और पूजा की।
एके सुधीर नंबूदिरी सबरीमाला मेल्संथी और एम एस परमेस्वरन नंबुदिरी मलिकापुरम मेल्संथी के रूप में कार्यभार संभालेंगे। वहीं, तीर्थयात्रियों को पूजा के बाद 18 पवित्र चरणों में चढ़ने और दर्शन करने की अनुमति होगी।
गौरतलब है कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 को केरल के सुप्रसिद्ध अयप्पा मंदिर में 10 वर्ष से 50 की आयुवर्ग की लड़कियों एवं महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को हटा दिया था। फैसले में शीर्ष अदालत ने सदियों से चली आ रही इस धार्मिक प्रथा को गैरकानूनी और असंवैधानिक बताया था।
इस फैसले के बाद राज्य और मंदिर के बाहर दक्षिणपंथी संगठनों और भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया था।