रांची : झारखंड में 50 बेड से कम वाले हॉस्पिटलों को क्लिनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट से छूट देने पर स्वास्थ्य मंत्री ने सहमति दे दी है. वहीं जल्द ही इसे राज्य में लागू करने की तैयारी है. इसे लेकर अपर बाजार के रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट ज्योति शर्मा ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, झारखंड सरकार और स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री के इस फैसले पर चिंता जताई है. साथ ही लिखा है कि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए न्यूनतम मानकों का होना जरूरी है. ऐसे में इस छूट से सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है. उन्होंने लिखा है कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का उद्देश्य बुनियादी ढांचा, स्टाफ, उपकरण और मरीजों की देखभाल के मानकों को सुनिश्चित करना है.
स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ेगा असर
पत्र में यह भी लिखा गया है कि छोटे अस्पतालों में सुरक्षा मानकों को हटाने से स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है. वहीं मरीजों की देखभाल में हॉस्पिटल वाले लापरवाही बरत सकते है. इसके अलावा अगर हॉस्पिटल में लापरवाही की स्थिति में मरीजों को नुकसान होता है तो जिम्मेदारी तय नहीं हो पाएगी.वहीं छोटे शहर और ग्रामीण इलाकों में इस छूट के गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते है. इसलिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग से आग्रह किया है कि इस निर्णय पर पुनर्विचार किया जाए. साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि 50 बेड से कम वाले अस्पताल भी जरूरी मानकों का पालन करें. बता दें कि केंद्र सरकार ने 2010 में क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट बनाया था, जिसका उद्देश्य देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए न्यूनतम मानक स्थापित करना था. विभिन्न राज्यों ने इस अधिनियम के तहत अपनी जरूरतों के अनुसार संशोधन किए हैं.

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