रांची : राज्य का सबसे बड़ा हॉस्पिटल रिम्स का विवादों से पुराना नाता है. कभी अव्यवस्था को लेकर तो कभी भवनों के निर्माण को लेकर. अब ताजा मामला हॉस्पिटल कैंपस में बन रहे रिजनल इंस्टीट्यूट आफ आपथैल्मोलॉजी (आरआइओ) का है. जिसका निर्माण पिछले 9 सालों से चल रहा है. इसके बाद भी आजतक भवन पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाया. अब रिम्स प्रबंधन ने भवन के बचे हुए कार्यों के लिए टेंडर निकाला है. जिससे कि भवन में बचे हुए कार्यों को पूरा कराया जा सके. बता दें कि 9 साल में भवन निर्माण का खर्च भी दोगुने से अधिक हो गया है.
2014 में शुरू हुआ था काम
2014 में रिजनल इंस्टीट्यूट आफ आपथैल्मोलॉजी भवन का काम शुरू हुआ था. इसके बाद से ही निर्माण कार्य चल रहा है. इतने सालों में कई बार काम बंद हुआ और प्रभावित भी हुआ. दोबारा से काम शुरू करने के बाद भी रफ्तार तेज नहीं हुई. 80% काम पूरा होने के बाद रिम्स ने पुरानी एजेंसी को हटा दिया और नए सिरे से टेंडर करने की तैयारी की. वहीं डीपीआर को संशोधित कर 85.2 करोड़ रुपए किया गया है. डीपीआर में कहा गया था कि संस्थान को पूरी तरह फंक्शनल बनाने के लिए इतनी राशि बढ़ाने की जरूरत है. 2014 में जब निर्माण कार्य शुरू हुआ था तो डीपीआर 39.55 करोड़ का पास हुआ था. इतनी राशि में एजेंसी ने 2020 तक भवन का 80% तक काम पूरा कर दिया. इसके बाद एजेंसी ने काम पूरा करने के लिए डीपीआर बढ़ाने की मांग की. वहीं डीपीआर 39.55 करोड़ से बढ़ाकर 54 करोड़ करने की मांग कर रही थी. इसे लेकर काफी विवाद हुआ और मामला रिम्स जीबी की बैठक में आया. इसके बाद एजेंसी को काम से हटा दिया गया.
अधिकारी बदले, व्यवस्था जस की तस
रिम्स का आरआईओ भवन पिछले 9 सालों से निर्माणाधीन है. इन 9 सालों में कई डायरेक्टर और अधिकारी बदल गए. लेकिन व्यवस्था जस की तस बनी हुई है. वहीं सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को पूरा नहीं किया जा सका है. बता दें कि इस योजना को लेकर केंद्र सरकार भी मदद कर रही है. वहीं आरआइओ को आपरेशनल बनाने के लिए 20 करोड़ रुपए की मशीन भी भेजी जा चुकी है. जिससे कि आंखों के बेहतर इलाज के लिए मरीजों को किसी और राज्य में जाने की जरूरत न पड़े. फिलहाल मशीनों का इस्तेमाल पुरानी बिल्डिंग में मरीजों के इलाज के लिए किया जा रहा है. बाद में इसे नए भवन में शिफ्ट किया जाएगा.