रांची : रिम्स का सीटीवीएस डिपार्टमेंट हार्ट के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है. वहां के डॉक्टर हार्ट की समस्या से जूझ रहे क्रिटिकल मरीजों को भी जीवनदान दे रहे है. अब एकबार फिर से सीटीवीएस विभाग के डॉक्टरों ने मरीज को नया जीवन दिया है. जी हां, हम बात कर रहे है धनबाद के रहने वाले एक व्यक्ति की. जिसके हार्ट के मुख्य नस जिसे आर्टा कहते है वह कई भागों में फट गई थी. जिससे कि उसकी स्थिति खराब होने लगी और शायद मौत भी हो जाती. लेकिन रिम्स के डॉक्टरों ने डॉ विनीत महाजन के नेतृत्व में तत्काल ऑपरेशन करने का निर्णय लिया. वहीं उसकी बॉडी में 40 मिनट तक ब्लड की सप्लाई रोक दी गई. वहीं बॉडी का टेंपरेचर 20 डिग्री पर मेंटेन किया गया. इसके बाद डॉक्टरों ने आर्टिफिशियल नस से डैमेज हो चुके मुख्य नस को रिप्लेस कर दिया. मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है. इतना ही नहीं वह तेजी से रिकवर हो रहा है.
आर्टिफिशियल डेथ कहते है मेडिकल भाषा में
डॉ विनी महाजन ने बताया कि ऐसे केस को हम आर्टिफिशयिल डेथ कहते है. इस तकनीक को डीप हाइपोथर्मिक टोटल सर्कुलेटरी अरेस्ट (Deep Hypothermic Total Circulatory Arrest) भी कहा जाता है. जिसमें मरीज के शरीर में ब्लड की सप्लाई को रोक दिया जाता है. 40 मिनट के लिए पूरी बॉडी में सप्लाई रोकने के साथ ही टेंपरेचर 20 डिग्री किया गया. इस काम में रिस्क काफी होता है. लेकिन आर्टिफिशियल नस को रिप्लेस करने के लिए ब्लड सप्लाई को पूरी तरह से बन्द किया जाता है.
आयुष्मान से हुआ मरीज का इलाज
रिम्स के CTVS विभाग एवं एनेस्थिसिया विभाग के डॉ शिव प्रिये की टीम के संयुक्त प्रयास से सभी मुश्किलों को पार करते हुए मरीज की सर्जरी की गई. डॉ महाजन ने बताया कि मरीज के पास आयुष्मान कार्ड था, जिससे उसका इलाज बिना किसी खर्च के किया गया. प्राइवेट हॉस्पिटल में इस सर्जरी के 10-15 लाख रुपए तक खर्च आता है. वहीं मरीज के 50% मृत्यु होने का खतरा भी रहता है. इसके बावजूद डॉक्टरों ने रिस्क लिया. साथ ही कहा कि यह ऑपरेशन संभवत झारखंड का पहला केस होगा.
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