रांची: राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में व्यवस्था को पटरी पर लाने को लेकर प्रबंधन ने कमर कस ली है. वहीं हॉस्पिटल में काम करने वाली एजेंसियों की मनमानी पर लगाम कसने की ओर कदम बढ़ा दिया गया है. ऐसे में एजेंसी वाले अब बिल में गड़बड़ी नहीं कर सकेंगे. इतना ही नहीं एक साथ कई महीनों का बिल देने की स्थिति में भुगतान में भी देरी होगी. इसके लिए जिम्मेवार एजेंसियां होगी. बता दें कि रिम्स निदेशक डॉ राज कुमार ने रिम्स अंतर्गत विभिन्न सेवा प्रदान करने वाली एजेंसी, कांट्रेक्टर व सप्लायरों के विपत्रों के भुगतान हेतु आदेश पारित किया है.

जिसमें सभी सेवा प्रदाताओं को मासिक आधार पर बिल जमा करने के निर्देश दिए गए हैं. गौरतलब है कि कई सेवा प्रदाता और सप्लायर तीन-चार महीने या तीन-चार आपूर्ति का बिल एक साथ सम्मिलित कर भुगतान हेतु जमा करते हैं. कई बार इन बिलों में भारी अनियमितताएं पाई जाती हैं. जिसकी जांच में समय लगता है. सेवा प्रदाताओं द्वारा यह अपेक्षा की जाती है कि बिना जांच एवं सत्यापन के बिल तुरंत स्वीकृत कर भुगतान कर दिया जाए. और इसके लिए वह प्रबंधन पर अनावश्यक दबाव बनाते हैं.

बिल मिलने पर जांच करें कर्मचारी

पिछले दिनों रिम्स में सफाई एजेंसी ने हॉस्पिटल में बिल सबमिट किया था. जिसमें 122 सफाईकर्मी काम कर रहे है. लेकिन एजेंसी ने बिल 188 लोगों का दिया था. गड़बड़ी पाए जाने पर इसकी जांच कराई गई. वहीं एजेंसी को 122 लोगों का ही पेमेंट किया गया. वहीं कार्रवाई के आदेश दिए गए है. इस तरह की अनियमिततायों पर रोक लगाने हेतु निदेशक ने सभी सेवा प्रदाता, कांट्रेक्टर, सप्लायरों जिनकी सेवाएं प्रतिमाह के आधार पर हैं. उन्हें अगले महीने एक सप्ताह के अंतराल में बिल जमा करने के निर्देश दिए हैं. वहीं प्रबंधन ने साफ़ किया है कि लम्बी अवधि का बिल या विलम्ब से जमा बिल के भुगतान में देर होने की स्थिति में जवादेही सम्बंधित एजेंसी की होगी. इसके साथ ही रिम्स के सम्बंधित कर्मचारियों/अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि बिल प्राप्त होने के एक सप्ताह से 10 दिन के अंदर बिल की जांच व सत्यापन करते हुए भुगतान हेतु संचिका प्रस्तुत करेंगे. यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है.

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