रांची : रिम्स का जेनेटिक एंड जीनोमिक्स डिपार्टमेंट होल एक्जोम सीक्वेंसिंग शुरू करने जा रहा है। जिससे कि बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा। साथ ही यह भी पता लगाया जाएगा कि किन कारणों से यह बीमारी हो रही है। इतना ही नहीं इन बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए भी कदम उठाए जा सकेंगे। बता दें कि राज्य के सबसे बड़े हास्पिटल रिम्स में जल्द ही असाध्य एवं दुर्लभ बीमारियों की जांच शुरू होगी। एम्स ने रिम्स के जेनेटिक्स एंड जिनोमिक्स विभाग द्वारा प्रस्तावित दो एक्सटर्नल रिसर्च प्रोजेक्ट को अनुदान देने की स्वीकृति दी है। दोनों ही रिसर्च सिकल सेल एनीमिया के क्षेत्र में होगा।

जेनेटिक एंड जिनोमिक्स विभाग करेगा निगरानी

दोनों ही रिसर्च को लीड करने वाली डा अनूपा प्रसाद ने बताया कि पहले प्रोजेक्ट का शीर्षक है “सिकल सेल एनीमिया में वासो ओक्लूसिव संकट के लिए नैदानिक प्रोफाइलिंग एवं आनुवंशिक जोखिम कारकों का अध्ययन: एक बहुकेंद्रित केस नियंत्रण अध्ययन। जबकि दूसरी प्रोजेक्ट का शीर्षक है- उच्च एचबीएफ वाले सिकल सेल एनीमिया मरीज में संभावित चिकित्सीय लक्ष्य की पहचान करने के लिए एक होल ब्लड ट्रांसक्रिप्टोमिक अध्ययन। दोनों ही प्रजेक्ट में डॉ अरुण विंसेंट किस्कु साथ में सपोर्ट करेंगे। वहीं इन परियोजनाओं में डॉ पार्था कुमार चौधरी, डॉ रिषी गुरिया, डॉ गणेश चौहान, डॉ अमित कुमार एवं डॉ सुनील शाक्य भी शामिल हैं। यह रिम्स के अलावा पूरे झारखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इन दो परियोजनाओं के साथ ही MBBS 2020 सत्र की छात्रा आकांक्षा सिंह के रिसर्च प्रोजेक्ट को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा अल्पावधि छात्रवृत्ति मिली है। इस रिसर्च प्रोजेक्ट की मार्गदर्शक डॉ. अनूपा प्रसाद हैं। यह प्रोजेक्ट का कार्य भी जेनेटिक एंड जिनोमिक्स विभाग में होगा।

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