Joharlive Team

रांची। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा की पूर्व मंत्री सरयु राय जी ने सबसे पहले यह आरोप लगाया था कि ईवीएम हैकर्स के ठहरने की सूचना उन्हें बेंगलुरु से एक मित्र ने दूरभाष से दी। इसकी शिकायत उन्होंने झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से की थी तो जाहिर तौर पर सरयु राय जी को चुनाव आयोग की कार्यशैली पर भरोसा था। लेकिन जब मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने जांच के बाद इस पूरे आरोप को खारिज कर दिया तो सरयु राय का चुनाव आयोग से विश्वास हट गया। उन्हें चुनाव आयोग की निष्पक्षता में सन्देह होने लगा। प्रतुल ने कहा कि अपनी सुविधा के अनुसार सरयु राय जैसे वरिष्ठ राजनीतिज्ञों को अपने गोलपोस्ट को नहीं बदलना चाहिए ।अगर उन्हें मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय पर विश्वास नहीं था तो फिर उन्होंने शिकायत क्यों की? और जब परिणाम उनके पक्ष में नहीं आया तो चुनाव आयोग पर प्रश्न उठाने लगे। राजनीति में ऐसे दोहरे मापदंड उचित नहीं है।

प्रतुल ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन और उनके परिवार पर CNT/SPT कानून का उल्लंघन कर ढाई दर्जन से ज्यादा जमीन खरीदने के संगीन आरोप है। इस मामले में उन्हें उचित फोरम से नोटिस भी मिल चुका है। सरयु राय ने झारखंड को बहुत करीब से देखा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने झारखंड आंदोलन को स्वर्गीय प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के समय 3 करोड़ में बेच दिया था। सरयु राय हमेशा राजनीति में उच्च नैतिक आदर्शों की बात करते हैं, तो फिर सिर्फ झामुमो के द्वारा जमशेदपुर पूर्वी के चुनाव में मदद करने पर वो सिर्फ रिटर्न गिफ्ट देने के लिए संथाल जाकर हेमंत सोरेन के पक्ष में प्रचार करने की बात कह रहे हैं। यह पूरा मामला किसी भी सूरत में उच्च नैतिक आदर्शों और सिद्धान्तों की बात तो नहीं लगती जिसका अनुसरण करने की वो बात किया करते है।

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