JoharLive Desk
नई दिल्ली : बीते 10 सालों में रेलवे को केवल कबाड़ बेचकर के 35 हजार करोड़ रुपये की कमाई हुई है। एक आरटीआई के जवाब में रेलवे ने बताया कि यह कमाई पुराने कोच, वैगन और पटरियों को बेचने से हुई है। यह कमाई पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के सालाना बजट से भी ज्यादा है। भारतीय रेलवे ने 10 साल में कबाड़ बेचकर 35,073 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
सबसे ज्यादा कबाड़ 2011-12 में बेचा गया था
रेलवे ने मालवा-निमांड अंचल के पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता जिनेंद्र सुराना की आरटीआई के जवाब में कहा कि सबसे ज्यादा कबाड़ 2011-12 में बेचा गया था। वहीं देश के तीन पूर्वी राज्यों–सिक्किम, मिजोरम और मणिपुर का सालाना बजट भी इससे काफी कम है। जहां सिक्किम का बजट सात हजार करोड़ रुपये है, वहीं मिजोरम का बजट नौ हजार करोड़ रुपये है। हालांकि मणिपुर का बजट 13 हजार करोड़ रुपये है।
10 सालों में सबसे ज्यादा स्क्रैप 4,409 करोड़ रुपये का वर्ष 2011-12 में बेचा गया
रेलवे बोर्ड ने बीते 10 सालों में सबसे ज्यादा स्क्रैप 4,409 करोड़ रुपये का वर्ष 2011-12 में बेचा गया, जबकि सबसे कम स्क्रैप से आमदनी वर्ष 2016-17 में 2,718 करोड़ रुपये हुई है। रेलवे को केवल पुरानी पटरियों को बेचने से 10 सालों में 11,938 करोड़ रुपये की कमाई हुई है। वर्ष 2009-10 से 2013-14 के बीच 6,885 करोड़ रुपये की पुरानी पटरियों को बेचा गया, वहीं वर्ष 2015-16 से 2018-19 की अवधि के बीच 5,053 करोड़ रुपये की पुरानी पटरियां बेची गईं।