धनबाद: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सीआईटीयू, मजदूर कर्मचारी समन्वय समिति और अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति धनबाद के संयुक्त तत्वावधान में धनबाद जिला परिषद मैदान से रैली निकाली जो मुख्य मार्ग हीरापुर पार्क मार्केट होते हुए रणधीर वर्मा चौक पहुंच कर प्रदर्शन व सभा मे तब्दील हो गई. इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करें. संयुक्त संघर्ष को आगे बढ़ाएं और कॉपरिट सांप्रदायिक गठजोड़ को हराएं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 पर महिलाओं के दुश्मन को पहचाने, महिलाओं के अधिकार के लिए एकजुट होकर शिकस्त देने का संकल्प ले.

कम पैसे में काम करने को मजबूर हैं महिलायें

वक्ताओं ने आगे कहा कि हमें पिछला एक दशक की भाजपा शासन में देश में कामकाजी महिलाओं के अधिकारों और आजीविका पर बढ़ते हमलों और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते भेदभाव और अत्याचार का बहुत कड़वा अनुभव मिला है. कामकाज की स्थिति, नौकरी की सुरक्षा, कार्य स्थल पर सुरक्षा, रोजगार में महिलाओं की घटती भागीदारी और साथ ही बेतन के मामले में महिलाओं के रोजगार की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होते जा रहे हैं. महिला वर्कर जिन्हें कम वेतन मिलता है और श्रमिक के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है, कृषि श्रमिक जिन्हें साल में औसतन 40-80 दिन के लिए काम मिलता है. घरेलू कामगार जो बहुत कम पैसे में काम करने को मजबूर हैं, स्वरोजगार श्रेणी में अवैतनिक पारिवारिक सहायक के रूप में काम करने वाली महिलाएं, कामकाजी महिलाओं में प्रमुख रूप से शामिल हैं. इनमें से अधिकांश महिला श्रमिक, कानूनी मातृत्व लाभ की सुविधाओं से वंचित है. सरकारी मातृत्व लाभ योजना (पीएमएमबीबाई) जा रहा है. संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों की महिलायें सुविधाओं से वंचित हैं. आंगनबाड़ियों को आंगनबाड़ी सह क्रेच में बदलने की मांग अनसुनी रह गई है, महिलाओं के खिलाफ हिंसा लगातार बढ़ रही है. कार्य स्थल पर यौन उत्पीडन पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है, क्योंकि सरकारी क्षेत्र में भी संस्थागत समर्थन और निगरानी तंत्र मौजूद नहीं है.

मोदी सरकार ने महिला आरक्षण बिल पारित कर महिलाओं के साथ धोखा किया 

सरकारी तंत्र के माध्यम से धार्मिक अनुष्ठानों एवं रूढ़िवादी प्रथाओं का प्रचार प्रसार किया जा रहा है. महिलाओं के बारे न केवल आपत्तिजनक और अपमानजनक टिप्पणियां, (जैसे महिलाओं को पारिवारिक कामकाज, मातृत्व और धार्मिक अनुष्ठानों तक ही सीमित रहना चाहिए”) दी जा रही है, बल्कि बलात्कार के अपराधियों को समर्थन सर्वेक्षण और सम्मानित किया जा रहा है और जेलों से रिहा किया जा रहा है. आरएसएस विचारधारा से निर्देशित और कॉर्पोरेट वित्त पोषित, सत्तारूढ़ दल और सरकार दोनों अपने मार्गदर्शक और प्रायोजकों के हितों की पूर्ति के लिए पूरी प्रक्रिया को प्रोत्साहित कर रहे हैं. कारपोरेट मीडिया, धारावाहिकों और सिनेमा के निर्माता, अंधविश्वास, संस्कृतियों और कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने के इस पूरे प्रकरण में सक्रिय भागीदार हैं. मोदी सरकार ने महिला आरक्षण बिल पारित करके हमारे देश की महिलाओं के साथ ऐसा धोखा किया है कि इसे अगले दो दशकों में भी लागू नहीं किया जा सकेगा. समाज की मौजूदा परित्यवक्ता, तलाकशुदा, अकेली असहाय महिला क्यों कि देखभाल करने में असफल होने पर शर्म किए बिना तीन तलाक को लेकर बेशर्मी से प्रचार किया जा रहा है. झूठ और भ्रामक सरकारी प्रचार प्रसार में हजारों करोड़ों रुपए खर्च करके करोड़ों गरीब, बेघर, मूबी और कुपोषित महिलाओं का क्रूर अपमान किया जा रहा है.

डीसी को सौंपा 12 सूत्री मांग पत्र

इस वर्ष के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के तुरंत बाद लोकसभा चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. इसलिए यह सामान्य रूप से सभी महिलाओं और विशेष रूप से कामकाजी महिलाओं द्वारा, उन सभी से निम्नलिखित मांगों को जोर-शोर से उठाने का सही समय है, जो वोट मांगने के लिए आएंगे. इस अवसर पर नया जिला समाहरणालय जाकर डीसी को 12 सूत्री मांग पत्र दिया. वक्ताओं में सीटू जिला महामंत्री राम कृष्णा पासवान, एडवा राज्य नेत्री माया लायक तथा मजदूर कर्मचारी समन्वय समिति जिला कार्यकारी अध्यक्ष हेमन्त मिश्रा के अलावा बोटू जिला अध्यक्ष आमन्द‌मय पाल, सीटू राज्य सचिव भारत भूषण, एडवा जिला नेत्री रीला पासवान, सीटू जिला उपाध्यक्ष हरि पप्पु,  सौर जिला नेत्री शंकरी देव. सचिव लीलामय गोस्वामी, BCKU आध्यक्ष आदि उपस्थित थे.

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