Joharlive Desk
नई दिल्ली: एक नए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि जो लोग कोरोना से उबर जाते हैं उन्हें दोबारा वायरस का संक्रमण नहीं होता है। इसका उदाहरण तीन लोग हैं जो वायरस से उबर चुके थे। वे अमेरिका के सीटल में एक मछली पकड़ने वाले पोत में रहे, जहां कोरोना का कहर बरपा लेकिन इसका उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
यह निष्कर्ष एंटीबॉडी (सीरोलॉजिकल) के साथ-साथ वायरल डिटेक्शन (रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस-पोलीमरेज चेन रिएक्शन, या आरटी-पीसीआर) परीक्षणों पर आधारित है, जो पोत के रवाना होने से पहले और उसके लौटने पर किए गए थे। समुद्र में 18 दिन बिताने के दौरान, चालक दल के 122 सदस्यों में से 104 एक ही स्रोत से वायरस की चपेट में आए।
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी (यूडब्ल्यू) के मेडिसिन क्लिनिकल वायरोलॉजी लेबोरेटरी के सहायक निदेशक और अध्ययन के लेखकों में से एक अलेक्जेंडर ग्रेनिंजर ने कहा, ‘इससे पता चलता है कि एंटीबॉडी को बेअसर करने और सार्स-कोव-2 से सुरक्षा के बीच कोई संबंध है। इसपर और ज्यादा शोध करने की आवश्यकता है। चूंकि एन नंबर (एंटीबॉडी वाले लोगों की संख्या) छोटा है।’
अध्ययन शुक्रवार को प्रीप्रिंट सर्वर मेडरिक्स पर पोस्ट किया गया था और शोधकर्ता यूडब्ल्यू और सिएटल के फ्रेड हच कैंसर रिसर्च सेंटर से थे। निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये अभी तक की निकटतम पुष्टि करते हैं कि प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करके महामारी को रोका जा सकता है। इससे एक जटिल सवाल का जबाव मिलने में मदद मिल सकती है कि क्या रोग से बचने के लिए एंटीबॉडीज पर्याप्त हैं।
इस तरह के डाटा को प्राप्त करना आमतौर पर चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि वैज्ञानिक नैतिकता उन्हें एंटीबॉडी के कारण किसी संकमण को रोकने की जांच करने से रोकता है। शोधकर्ताओं ने अपने शोध में कहा, ‘कुल 104 व्यक्तियों की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई। केवल क्रू के तीन सदस्य सीरोपॉजिटिव पाए गए और उनके शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मौजूद थीं। इन तीनों ही क्रू सदस्यों में वायरस के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए।’