VIVEK SHARMA
रांची : राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में नई व्यवस्था शुरू होने जा रही है. एक दिन बाद से किडनी के मरीजों के लिए डायलिसिस के लिए नया विंग शुरू हो जाएगा. पीपीपी मोड पर जिसके संचालन की जिम्मेवारी नेफ्रोप्लस को दी गई है. जहां पर आयुष्मान कार्ड धारी, मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के लाभुक मरीजों की मुफ्त डायलिसिस की जाएगी. वहीं सामान्य मरीजों को 1341 रुपये चार्ज देना होगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि रिम्स प्रबंधन ने इसके संचालन के लिए पीपीपी मोड पर एजेंसी को क्यों हायर किया. जबकि हाई कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि रिम्स में पीपीपी मोड पर काम कर रही एजेंसियों को हटा दिया जाए. इसके बावजूद प्रबंधन ने दोनों एजेंसियों को नहीं हटाया. अब एक और एजेंसी पीपीपी मोड पर काम करने का आदेश दे दिया गया है. बता दें कि पहले से हॉस्पिटल में डायलिसिस यूनिट का संचालन रिम्स खुद से कर रहा था. इस मामले में पीआरओ डॉ राजीव रंजन ने कहा कि एजेंसी पीपीपी मोड पर काम करेगी. इसके अलावा कोई जानकारी उन्हें नहीं है.
दो एजेंसियां कर रही काम
हॉस्पिटल में सालों से दो एजेंसियां पीपीपी मोड पर काम कर रही है. जिसमें एक एजेंसी मेडाल है जो मरीजों के पैथोलॉजी टेस्ट करती है. वहीं कार्डधारियों का मुफ्त में टेस्ट करने के बाद बिल प्रबंधन को देती है. जबकि दूसरी एजेंसी हेल्थमैप है. जहां पर मरीजों के रेडियोलॉजी टेस्ट होते है. इन सभी के कार्यशैली और बिलिंग पर सवाल उठते रहे है.
संसाधनों को दुरुस्त करने का था आदेश
राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में व्यवस्था दुरुस्त करने को लेकर हाईकोर्ट ने फटकार लगाई थी. साथ ही आदेश दिया था कि हॉस्पिटल प्रबंधन अपने संसाधनों को दुरुस्त करें. वहीं पीपीपी पर चल रहे पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी सेंटर को हटाने को भी कहा था. जिससे कि मरीजों के सभी तरह के जांच व इलाज हॉस्पिटल में ही उपलब्ध हो. इसके लिए मरीजों को बाहर या प्राइवेट लैब की दौड़ न लगानी पड़े. इसके बाद रिम्स प्रबंधन ने मशीनों को दुरुस्त तो करा लिया है. लेकिन एजेंसियां अब भी काम कर रही है.
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