JoharLive Desk

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी कर दी है। रिपोर्ट में जीडीपी की दर को कम करते हुए आर्थिक मंदी को लेकर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में चलन में मौजूद मुद्रा 17 फीसदी बढ़कर 21.10 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। रिपोर्ट में औद्योगिक उत्पादन में शिथिलता और विनिवेश में कमी के कारण विनिर्माण में चार फीसदी से नीचे की गिरावट पर भी चिंता जताई गई है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकों में कुल 71,542.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के कुल 6,801 मामले सामने आने की बात कही गई है।
आरबीआई की ओर से हर साल जारी होने वाले रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक के कामकाज तथा संचालन के विश्लेषण के साथ ही अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में सुधार के लिए सुझाव दिए जाते हैं। इस बार की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू मांग घटने से देश में आर्थिक गतिविधियां सुस्त हो गई हैं और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए मौद्रीक नीतिगत ब्याज दरों में लगातार तीन बार रेपो रेट में भी कमी की गई है। आरबीआई ने कहा है कि आईएल एंड एफएस संकट के बाद से एनबीएफसी से वाणिज्यिक क्षेत्र को ऋण प्रवाह में 20 फीसदी की गिरावट आई है।
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि केंद्र सरकार को अधिशेष कोष से 52,637 करोड़ रुपये देने के बाद रिजर्व बैंक के आकस्मिक कोष में 1,96,344 करोड़ रुपये की राशि बची है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि ऋण माफी, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन, आय समर्थन योजनाओं की वजह से राज्यों की वित्तीय प्रोत्साहनों को लेकर क्षमता घटी है। चालू खाता घाटा (सीएडी) चैथी तिमाही में जीडीपी के एक प्रतिशत से नीचे रहने की बात कही गई है। राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.4 फीसदी पर रोकने की बात भी कही गई है।

Share.
Exit mobile version