रांची : ऐतिहासिक मोराबादी मैदान में भव्य तरीके से रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों के दहन के पहले मोराबादी मैदान में बंगाल से आए कारीगरों ने अद्भुत आतिशबाजी का मुजायरा किया. आधे घंटे तक पूरे मोराबादी मैदान में लोगों ने जमीनी और आकाशीय आतिशबाजी का लुफ्त उठाया.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उतारी श्री राम की आरती
कार्यक्रम में हजारों लोग शामिल हुए। राजधानी रांची के विभिन्न इलाकों से भ्रमण करने के बाद श्रीराम एवं लक्ष्मण की झांकी मोरहाबादी मैदान में प्रवेश कर गया । झांकी के आगमन के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भगवान श्रीराम एवं भ्राता लक्ष्मण की आरती उतारी। इसके बाद रावण वध किया गया है। रावण वध से पहले कई तरह के सांस्कृति कार्यक्रम आयोजित किये गये। सिल्ली का पाइका, जमशेदपुर का छऊ नृत्य और कोलकाता की आतिशबाजी मुख्य आकर्षन का केंद्र रही।
खास कार्यक्रम
कार्यक्रम में कलाकारों ने छऊ नृत्य की भी शानदार प्रस्तुति दी साथ ही भांगड़ा सहित कई आयोजन हुए । बारिश के मौसम में रावण को वाटर प्रूफ बनाया गया था। रावण दहन से पहले शानदार आतिशबाजी की गयी। लंबे वक्त तक आतिशबाजी की गयी। आतिशबाजी के बाद लंका दहन किया गया। मैदान के चारो तरफ बड़े डिस्प्ले लगाये गये थे जिसमें रावण दहन के साथ- साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी तस्वीर दिखायी जा रही थी।
मुस्लिम कारिगर करते हैं पुतला तैयार
पिछले 25 साल से रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले को मुस्लिम कारीगर बना रहे हैं। इसमें इन्हें महारथ हासिल है गया निवासी मो। मुस्लिम के नेतृत्व में इन पुतलों को बनाया गया था। 12 मुस्लिम कारिगर इस टीम में शामिल थे। रांची के मोरहाबादी मैदान में पहली बार 1952 में रावण दहन हुआ था। 1952 में फिरोजपुर पंजाब के स्व। अमीर चंद फतीजा ने 10 फीट का पुतला बनाकर इसकी शुरुआत की थी। इसके बाद से लगातार मोरहाबादी मैदान में रावण दहन किया जाता रहा है।