नई दिल्ली : 28 फरवरी को डीडीए द्वारा रैट-होल माइनर वकील हसन के घर तोड़ने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार, वकील हसन ने डीडीए के एमआईजी फ्लैट की पेशकश भी ठुकरा दी है. बताया गया कि तोड़े गए घर के पास ही दिलशाद गार्डन में वकील हसन को डीडीए का एमआईजी फ्लैट (टू रूम प्लस लिविंग रूम) ऑफर किया गया था. एलजी वीके सक्सेना ने डिमॉलिशन ड्राइव के बाद इस मामले में रैट-होल माइनर को घर देने को कहा था.

दरअसल, डीडीए के अधिकारियों ने 29 फरवरी को वकील हसन को नरेला में रेडी टू मूव फ्लैट ऑफर किया, लेकिन उन्होंने उस लोकेशन पर जाने से इनकार करते हुए मांग को ठुकरा दिया. एलजी को जब पता चला तो उन्होंने एक बार फिर इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी के लिए 2 बीएचके डीडीए फ्लैट 1 मार्च को वकील हसन को ऑफर किया. यह फ्लैट दिलशाद गार्डन में है और वकील के पुराने घर के काफी करीब है, लेकिन उन्होंने इस ऑफर को भी लेने से इनकार कर दिया. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वकील हसन का परिवार उसी मोहल्ले में अपने लिए दूसरा आशियाना मांग रहा है. एलजी इंडियन रेड क्रास सोसायटी दिल्ली ब्रांच को हेड करते हैं. 1 मार्च की रात करावल नगर और सीमापुरी के एक्जीक्यूटिव मैजिस्ट्रेट वकील के पास यह ऑफर लेकर गए थे.

वकील हसन ने बताया था कि वह 2012 से सोनिया विहार स्थित 74 वर्गगज मकान में परिवार के साथ रह रहे थे. इस मकान की रजिस्ट्री 1982 की है. उन्होंने बताया कि वह अपनी पत्नी के साथ किसी काम से अपनी ससुराल गए हुए थे. सुबह 10 बजे के करीब डीडीए के अधिकारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे. उनका आरोप है कि पुलिस और डीडीए के कर्मचारियों ने पहले जबरन उनके बच्चों को घर से बाहर निकाला. इसके बाद घर का सामान बाहर निकालकर उनके मकान को तोड़ दिया. उनके साथी मुन्ना कुरैशी ने फोन कर इस घटना की सूचना दी तो वह तुरंत सोनिया विहार स्थित अपने घर पहुंच गए.

उन्होंने मुन्ना के साथ डीडीए की कार्रवाई का विरोध किया तो पुलिस हम दोनों को पुलिस की गाड़ी में बैठाकर खजूरी थाने ले गई. आरोप है कि पुलिस ने उन्हें रात 8 बजे थाने से छोड़ा, तब तक उनका पूरा मकान ध्वस्त किया जा चुका था. वकील हसन ने बताया कि मैं अपने पूरे परिवार के साथ टूटे मकान के बाहर ही अनशन पर बैठ गया हूं.

उत्तराखंड सुरंग में फंसे मजदूरों को निकाला था

बता दें कि रैट होल माइनर वकील हसन ने उत्तराखंड में सुरंग में कई दिनों तक फंसे रहे मजदूरों को निकालने में मुख्य भूमिका निभाई थी. डीडीए के अनुसार वकील हसन एक कंपनी रॉकवैल एंटरप्राइजेज के मालिक हैं. इसी कंपनी के कर्मचारियों ने टनल के अंतिम हिस्से को खोदकर मजदूरों को बाहर निकाला था. डीडीए ने उत्तराखंड टनल में फंसे 41 लोगों की जान बचाने वाली रेट माइनर टीम के सदस्य वकील हसन के घर को अवैध बताकर तोड़ दिया था.

 

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