कोलंबो : श्रीलंका के आठवें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली. प्रधान न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने संसद भवन परिसर में 73 वर्षीय विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई. उनके सामने देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने तथा महीनों से चल रहे व्यापक प्रदर्शनों के बाद कानून एवं व्यवस्था बहाल करने की चुनौती है.
गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़कर चले जाने और राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था. वह संविधान के अनुसार, संसद द्वारा निर्वाचित श्रीलंका के पहले राष्ट्रपति हैं.रानिल विक्रमसिंघे ने शासन की प्रणाली में बदलाव लाने का संकल्प जताते हुए देशवासियों से कहा कि वह राजपक्षे परिवार के नहीं बल्कि जनता के मित्र हैं.
यह पूछे जाने पर कि विक्रमसिंघे राजपक्षे परिवार से अलग कैसे होंगे क्योंकि वह उनके पुराने मित्र हैं, नए राष्ट्रपति ने कहा, “मैं राजपक्षे परिवार का पुराना मित्र कैसे हूं? मैं उनका विरोध करता रहा हूं.” उन्होंने कहा, “मैं राजपक्षे परिवार का मित्र नहीं हूं, मैं जनता का मित्र हूं.
मैंने पहले पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगे के साथ काम किया है. वह किसी और पार्टी की थीं और मैं किसी और पार्टी का हूं. मेरे लिए किसी दूसरी पार्टी के राष्ट्रपति के साथ काम करने का मतलब यह नहीं है कि मैं उनका मित्र हूं.” राष्ट्रपति ने कहा कि वह ऐसा बदलाव लाएंगे, जो लोग चाहते हैं और यह जरूरी भी है.
विक्रमसिंघे ने कहा कि वह अपनी यूनाइटेड नेशनल पार्टी को मजबूत करने के अवसर पर ध्यान दे रहे हैं. उन्होंने नौ जुलाई को यहां प्रदर्शनकारियों के ऐतिहासिक सरकारी इमारतों में घुसने तथा तोड़फोड़ करने पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति कार्यालय और प्रधानमंत्री के कार्यालय पर जबरन कब्जा जमाना गैरकानूनी है और ऐसी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
विक्रमसिंघे ने कहा, “अरागालया (जन संघर्ष) व्यवस्था के खिलाफ था. सरकार गिराने, घरों को आग लगाने तथा महत्वपूर्ण कार्यालयों पर कब्जा जमाने के लिए हमें अरागालया का उपयोग कतई नहीं करना चाहिए. यह लोकतंत्र नहीं है बल्कि यह गैरकानूनी है.” उन्होंने कहा, “हमें शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों को प्रदर्शन करने की अनुमति देनी चाहिए. हम उनसे बातचीत भी कर सकते हैं.”
मई 1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति आर. प्रेमदास के निधन के बाद दिवंगत डी. बी. विजेतुंगा को निर्विरोध चुना गया था. छह बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को बुधवार को देश का नया राष्ट्रपति निर्वाचित किया गया. इससे नकदी के संकट से जूझ रहे इस द्वीपीय देश की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ चल रही वार्ता के जारी रहने की उम्मीद की जा सकती है.
श्रीलंका की 225 सदस्यीय संसद में विक्रमसिंघे को 134 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं सत्तारूढ़ दल के असंतुष्ट नेता डलास अल्हाप्पेरुमा को 82 वोट मिले. वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को महज तीन वोट मिले. संसद में कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान कराया गया. विक्रमसिंघे पर देश को आर्थिक बदहाली से बाहर निकालने और महीनों से चल रहे प्रदर्शनों के बाद कानून-व्यवस्था बहाल करने की जिम्मेदारी है.