रांची. 34वें नेशनल गेम्स को लेकर राजधानी रांची के खेलगांव में मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की स्थापना की गई थी. करीब 235 एकड़ में फैले इस स्टेडियम को 2011 में राष्ट्रीय खेल के बाद देश भर में पहचान मिली थी. लेकिन आज मेंटेनेंस के अभाव में वर्ल्ड क्लास स्टेडियम बदहाली की हालत तक पहुंच चुके हैं. देशभर में खेल के लिए झारखंड को एक नई पहचान देने वाला राजधानी रांची का मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स खेलगांव आज अपनी बदहाली पर रो रहा है.
2011 में करीब 650 करोड़ की लागत से बने इस वर्ल्ड क्लास कंपलेक्स में अंतरराष्ट्रीय स्तर के 9 स्टेडियम है जहां तीरंदाजी, शूटिंग, बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, स्विमिंग, बैडमिंटन समेत तमाम दूसरे गेम्स खेलने की आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं. लेकिन सालों से रिपेयरिंग नहीं होने की वजह से तमाम स्टेडियम की दीवारें और फेंसिंग अब उखड़ने लगी हैं.
जबकि हर साल मेंटेनेंस के नाम पर मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं. 2021 के वर्तमान वित्तीय वर्ष में 5 करोड़, 9 लाख रुपये की राशि मेंटेनेंस के नाम पर खर्च करने के लिए रखी गयी है. स्टेडियम की बदहाली को खेलगांव में कोचिंग देने वाले कोच भी खुलेआम स्वीकार करते हैं.
खेलगांव में आर्चरी की ट्रेनिंग देने वाले कोच करण कर्माकर भी इस व्यवस्था से नाराज दिखे. उन्होंने कहा कि आर्चरी स्टेडियम में भी कई जगहों पर रिपेयरिंग की जरूरत है. लेकिन बदहाली की वजह से प्रशिक्षण देने में काफी मुश्किलें आ रही हैं.
2016 में खेलगांव मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी जेएसएसपीएस को दी गई थी. जो राज्य सरकार और सीसीएल का ज्वाइंट वेंचर है. बावजूद इसके वर्ल्ड क्लास स्टेडियम की बदहाली बदस्तूर जारी है. यहां इनडोर स्टेडियम के साथ-साथ दूसरे स्टेडियम भी अपनी दुर्दशा की कहानी खुद बयां कर रहे हैं.
बिरसा एथलेटिक्स स्टेडियम के अंदर तो बकायदा बारिश में पाइप लाइन से रिसाव जहां लगातार जारी है. वहीं पंखे भी मेंटेनेंस पर करोड़ों के खर्च की कहानी खुद बयां कर रहे हैं. हालांकि दूसरी ओर मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में जेएसएसपीएस के अधिकारियों के कमरे चकाचक नजर आते हैं. जेएसएसपीएस के खेल प्रबंधक अजय मुकुल टोप्पो ने बताया कि मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में रिपेयरिंग का काम शुरू हो गया है और 9 स्टेडियम में जहां-जहां भी रिपेयरिंग की जरूरत है उसे पूरा किया जा रहा है. हालांकि उन्होंने इस बात पर चुप्पी साध ली कि लंबे समय तक मेंटेनेंस की राशि रहने के बावजूद रिपेयरिंग का काम पूरा क्यों नहीं हो सका.