रांची। अरगोड़ा इलाके की रहने वाली भारती कुमार 11 वर्षीय एक आदिवासी बच्चे को बंधुआ मजदूर बनाकर उससे अपने घर का सारा काम करवाती थी। काम में थोड़ी देरी होती तो महिला उस बच्चे को न सिर्फ पीटती थी, बल्कि लोहे के गर्म रॉड से उसका शरीर जलाती थी। शरीर पर गर्म पानी डालती थी और चाकू से उस पर हमला भी करती थी।
सीडब्ल्यूसी के सामने पीड़ित ने किया खुलासा
इस बात का खुलासा सीडब्ल्यूसी अधिकारियों के समक्ष पीड़ित नाबालिग बच्चे ने किया है। बच्चे को आशा ओपन शेल्टर होम में रखा गया है। बच्चे ने सीडब्ल्यूसी को बताया कि दोगा गांव से परिजनों ने उसे पढ़ाने के नाम पर भारती को सात साल की उम्र में दिया था। चार से पांच साल तक उसे घर में बंद कर रखा गया। इस दौरान उसे प्रताड़ित किया जाता था। बात-बात पर उसे पीटा जाता था। ठीक से खाना भी नहीं दिया जाता था।
ठंड में भी छत पर सोने को मजबूर किया
बच्चे ने बताया कि उसे गर्मी, सर्दी या बारिश के मौसम में छत पर ही सोने के लिए जगह दी गई थी। एक शॉल में वह रात गुजारता था। जब-जब भी घर में मेहमान आता था तो उसे सामने नहीं आने की बात कह कर छत पर भेज दिया जाता था। मेहमानों को उससे अनभिज्ञ रखा जाता था, ताकि भेद न खुल जाए।