रांची: राजधानी में खून की क्राइसिस हो गई है. सरकारी हॉस्पिटलों के ब्लड बैंक में तो होल ब्लड ही नहीं है. कुछ यूनिट ब्लड गंभीर मरीजों के लिए रखे गए है. लेकिन सामान्य मरीजों के लिए तो डोनर ही एकमात्र सहारा बने हुए है. ऐसे में लोगों से ब्लड डोनेशन की अपील की जा रही है. फिर भी लोग ब्लड डोनेशन के लिए आगे नहीं आ रहे है. अब रिम्स ब्लड बैंक और संस्थाएं मिलकर ब्लड डोनेशन कैंप लगा रही है ताकि खून की किल्लत को दूर किया जा सके.

प्राइवेट ब्लड बैंक में भी लिमिटेड

राजधानी में एक दर्जन प्राइवेट हॉस्पिटल व ब्लड बैंक है. जिनके पास अलग-अलग ग्रुप के खून तो है. लेकिन वह भी प्रबंधन और बैंकों ने स्टॉक में रखा है. जिससे कि उनके हॉस्पिटल में इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को उपलब्ध कराया जा सके. हालांकि प्राइवेट बैंकों से जरूरतमंद मरीजों को खून तो मिलता है. लेकिन इसके लिए काफी पैसे चुकाने पड़ते है. जबकि सरकारी हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में केवल प्रोसेसिंग चार्ज ही देना होता है.

एक यूनिट से तीन कंपोनेंट

एक यूनिट होल ब्लड से तीन मरीजों की जान बचाई जा सकती है. इसमें पैक्ड सेल, प्लाज्मा और प्लेटलेट प्रोसेसिंग कर निकाल लिया जाता है. लेकिन कुछ दिनों से डोनेशन पर्याप्त नहीं होने के कारण होल ब्लड ही नहीं मिल पा रहा है. ऐसी स्थिति में कंपोनेंट्स मिलने में भी परेशानी आ रही है.

डोनर वालों को मिल रहा खून

हॉस्पिटल में इलाजरत मरीजों को खून तभी मिल रहा है जब वे डोनर लेकर आ रहे है. कई बार तो स्थिति यह हो जा रही है कि ब्लड डोनेशन के बाद उसे ही प्रोसेस कर दिया जा रहा है. इसमें थोड़ा टाइम अधिक लग रहा है. वहीं इमरजेंसी के लिए रखे खून डोनेशन के बाद ही दिए जा रहे है.

 

 

 

 

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