रांची : राजधानी में पानी पाताल में पहुंच चुका है. कई इलाके तो ऐसे है जहां पर सैंकड़ों फीट बोरिंग करने के बाद भी पानी नहीं निकल रहा है. कई इलाके तो ड्राई जोन घोषित है. अब जब ज्यादातर इलाकों का पानी पाताल में पहुंच गया है तो रांची नगर निगम के अधिकारियों की नींद खुली है. वहीं शहर में अवैध रूप से धरती का सीना छलनी कर पानी निकालने वालों पर कार्रवाई की जा रही है. वहीं उनके कागजात के भी जांच किए जा रहे है. जिससे की अवैध रूप से पानी की निकासी कर कारोबार करने वालों पर लगाम लगाई जा सके. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इतने दिनों से नगर निगम के अधिकारी किस नींद में थे. बता दें कि वाटर बॉटलिंग प्लांट के संचालन को लेकर रांची नगर निगम के पास कोई गाइडलाइन अबतक नहीं बनी है. इसी का फायदा उठाकर शहर में धड़ल्ले से वाटर बॉटलिंग प्लांट का संचालन किया जा रहा है.
350 से अधिक जगह ड्राई जोन
शहर में पानी की सप्लाई के लिए रांची नगर निगम ने समर एक्शन प्लान बनाया है. जिसमें नगर निगम क्षेत्र के 350 से अधिक जगहों को ड्राई जोन एरिया माना गया है. इन इलाकों में टैंकर से पानी की सप्लाई की जा रही है. चूंकि इन इलाकों में तो पानी का लेवल बचा ही नहीं है. कुछ इलाके में तो लोग गर्मी पड़ते ही अपने रिश्तेदारों और परिवार के पास दूसरे इलाकों में चले जाते है जहां पर पानी हो.
हाईकोर्ट ने भी लगाई है फटकार
हाइकोर्ट ने राज्य में नदियों व जल स्रोतों के अतिक्रमण तथा साफ-सफाई को लेकर स्वतः संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की थी. जिसमें भूमिगत जल स्तर को बनाये रखने में वाटर हार्वेस्टिंग को जरूरी बताया था. वहीं सरकारी भवन, प्राइवेट बिल्डिंग, अपार्टमेंट में रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाना सुनिश्चित करने को कहा. साथ ही कहा कि किसी भी भवन का ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट देने के पूर्व यह देखा जाये कि वहां वाटर हार्वेस्टिंग बनाया गया है कि नहीं. रांची नगर निगम को खंडपीठ ने निर्देश दिया कि वह सर्वे कराये तथा यह देखे कि भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग बनाया गया है या नहीं. नहीं बनाने पर कार्रवाई की जाये. इसे हर हाल में सुनिश्चित किया जाना चाहिए. वाटर हार्वेस्टिंग को प्रोत्साहित करने को लेकर होर्डिंग्स, समाचार पत्रों, एफएम रेडियो आदि के माध्यम से प्रचार अभियान चला कर लोगों को वाटर हार्वेस्टिंग के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए.