रांची: झारखंड की राजधानी के उपायुक्त को अपना एक महत्वपूर्ण आदेश इसलिए वापस लेना पड़ा क्योंकि निजी स्कूलों ने एकजुट होकर उसका जमकर विरोध करने के साथ ही धमकियां तक दे डालीं. दबाव बनाने की यह रणनीति स्कूलों ने एक बार फिर आज़माई और इस बार उपायुक्त को मजबूर होना पड़ा. वास्तव में रांची उपायुक्त छवि रंजन ने 2021-22 के शैक्षणिक सत्र में किसी भी तरह की फीस न बढ़ाने का आदेश दिया था और निजी स्कूलों से कहा था कि शुल्क की वजह से किसी भी स्टूडेंट की पढ़ाई बाधित नहीं होनी चाहिए. इसके बाद उपायुक्त के साथ निजी स्कूलों की बैठक हुई, जिसके बाद आदेश वापस लिये जाने की खबर है.
उपायुक्त छवि रंजन के फीस संबंधी निर्देश के बाद निजी स्कूलों की सहोदया कमिटी ने उनके साथ मुलाकात कर इस फैसले को रिवाइज्ड करने को कहा था. निजी स्कूलों के प्रिंसिपलों का पक्ष सुनने के बाद रंजन ने मामले को विभाग को भेजे जाने की बात कही. उपायुक्त ने कहा कि इस संबंध में विभाग से मार्गदर्शन मिलने पर स्पष्ट निर्देश आने तक जिला प्रशासन द्वारा जारी आदेश लागू नहीं किया जाएगा.
कैसे दी स्कूलों ने चेतावनी?
रंजन से मुलाकात के दौरान स्कूलों के प्रिंसिपलों ने कोरोना काल में स्कूल संचालन में आ रही परेशानियां तो बताई ही, लेकिन कड़े तेवर भी दिखाए. निजी स्कूल प्रबंधकों व प्राचार्यों ने साफ तौर कहा कि सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी, तो एक सप्ताह बाद स्कूल बंद कर दिए जाएंगे. उपायुक्त के आदेश के विरोध में इस तरह की चेतावनी एसोसिएशन ने एक वर्चुअल बैठक के बाद जारी की.
दूसरी तरफ, स्कूलों ने रंजन के सामने अपनी बात रखते हुए कहा कि कोरोना काल के दौरान रोजगार प्रभावित होने वाले अभिभावकों के आवेदन पर स्कूल प्रबंधन रियायत देगा. हालांकि स्कूल प्रबंधन की ओर से स्पष्ट या लिखित आश्वासन नहीं दिया गया. सहोदया अध्यक्ष समरजीत जाना ने कहा कि स्कूल प्रबंधन की अपनी मजबूरियां हैं, जिस वजह से एनुअल फीस सहित अन्य शुल्क लिये जाना जरूरी हैं. बता दें कि पिछले साल प्रदेश सरकार ने जब केवल ट्यूशन फीस लेने के निर्देश दिए थे, तब भी निजी स्कूल संचालक कोर्ट चले गए थे और अभिभावकों को कोई रियायत नही दी गई थी. इस बार भी ऐसे ही तेवर स्कूलों ने उपायुक्त के खिलाफ दिखाए.