महाराष्ट्र के बाद झारखंड में भी बीजेपी गठबंधन से हुई अलग,
अब चुनाव के बाद भी आजसू के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा.
Joharlive Team
रांचीः बीजेपी-आजसू का 19 साल पुराना याराना अब समाप्त हो गया है। महाराष्ट्र के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को झारखंड में झटका लगा है. झारखंड में 19 सालों तक भाजपा के साथ चली ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) से गठबंधन टूट गया है. अब बीजेपी झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में अकेले उतरेगी. 53 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी बीजेपी बाकी 27 सीटों पर भी अपना उम्मीदवार उतारेगी. वहीं एक निर्दलीय उम्मीदवार का पार्टी समर्थन करेगी. बता दें कि बीजेपी और आजसू के बीच सीट बंटवारे पर बात नहीं बन पा रही थी, जिसके बाद पार्टी ने गुरुवार को फैसला लिया कि झारखंड में अकेले चुनावी मैदान में उतरेंगे.।
क्यों टूटा याराना
आजसू पार्टी ने पहली सूची में कई ऐसी सीटों पर भी उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की, जिसके लिए सहयोगी दल भाजपा ने अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी थी. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा के विधानसभा क्षेत्र चक्रधरपुर से भी आजसू ने अपने उम्मीदवार को खड़ा कर दिया। आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने स्पष्ट कहा था पार्टी अपने मान-स्वाभिमान की रक्षा करेगी और इसके लिए किसी कीमत पर नहीं झुकेगी।
आजसू के डिमांड से बीजेपी के आला नेता भी नहीं थे सहमत
आजसू की डिमांड से बीजेपी के आला नेता सहमत नहीं थे। बीजेपी आजसू को 11 सीटों से अधिक देने के पक्ष में नहीं थी। चर्चा यह है कि बीजेपी महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए अपना रूख साफ किया है. महाराष्ट्र में बीजेपी शिवसेना के सामने नहीं झुकी. चर्चा यह है कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में अपनी सीटिंग सीट गिरिडीह को छोड़कर आजसू को वेटेज दिया था. जो एक बड़ी चूक थी।
आजसू के रूख को भांपते हुए बीजेपी ने प्लान सी किया ओपेन
आजसू के रूख को भांपते हुए भाजपा ने अपना प्लान सी ओपेन कर दिया है. पार्टी सूत्रों के अनुसार अब चुनाव के बाद भी आजसू के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा. इसको लेकर पार्टी के आला नेता तय कर चुके हैं कि सरकार बने या न बने अब आजसू के साथ चुनाव पूर्व व चुनाव के बाद कोई गठबंधन नहीं होगा. आजसू ने अपने उम्मीदवार घोषित कर बीजेपी को पशोपेश में डाल दिया. आजसू ने उन चार विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा है. जहां बीजेपी के उम्मीदवार हैं. खासकर चक्रधरपुर से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ के खिलाफ आजसू ने रामलाल मुंडा के उतार कर अपने रूख साफ कर दिया है. इसी तरह सिमरिया, सिंदरी और मांडू में भी आजसू ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया है.
बीजेपी का एक बड़ा खेमा आजसू से नराज
बीजेपी का एक बड़ा खेमा पहले से ही आजसू ने नराज चल रहा था. इस खेमे का मानना है कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में अपनी सीटिंग सीट गिरिडीह आजसू को देकर बड़ी भूल की थी. लोकसभा चुनाव के दौरान आजसू ने यह भी घोषणा की थी कि विधानसभा चुनाव की परिस्थिती को देखकर ही फैसला लिया जाएगा. आजसू के आला नेताओं ने कई बार 81 सीटों पर लड़ने की खुले मंच से घोषणा की थी. लेकिन बीजेपी ने उस वक्त इसे नजरअंदाज कर दिया था. बीजेपी के बड़े खेमे का मानना है कि यह बीजेपी की बड़ी भूल थी.
गिरिडीह सीट जीतने के बाद आजसू की बढ़ी डिमांड
गिरिडीह सीट जीतने के बाद आजसू की डिमांड बढ़ गई. हालांकि बीजेपी का बड़ा खेमा कभी भी आजसू के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं रहा. बीजेपी 10 से 11 सीट देने को तैयार थी. लेकिन आजसू की डिमांड देगुनी सीट की थी. इसके बाद बीजेपी ने भी महाराष्ट्र की घटना से सबक लेते हुए गठबंधन को नजर अंदाज कर दिया और अकेले ही मिशन 65 प्लस पाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।