Joharlive Team
रामगढ़। रामगढ़ प्रखंड कार्यालय के सरकारी खाते में जो नंबर प्रखंड विकास पदाधिकारी नम्रता जोशी द्वारा अंकित कराया गया था, वह एक प्राइवेट व्यक्ति के नाम पर जारी किया गया है। इस खुलासे के बाद बैंक अधिकारी और पुलिस पदाधिकारी भी बहुत चक्के रह गए हैं। सरकारी खाते से क्लोन चेक के द्वारा 78 लाख रुपए की अवैध निकासी मामले की जांच में इस बात का खुलासा हुआ। चेक रिलीज कराने के लिए जिस नंबर का इस्तेमाल हुआ था अब उसके नाम पर ही पेंच फंस गया है। जैसे-जैसे पुलिस आगे बढ़ रही है, वैसे वैसे बैंक अवैध निकासी मामले की जांच जटिल होती जा रही है। जांच में शामिल लोगों को हर दिन एक नए तथ्य पाकर परेशान हो गए हैं।
अब तो बात उठने लगा है कि आखिर कोई इतना लापरवाह कैसे हो सकता है। बैंक से लेकर प्रखंड कार्यालय के कर्मचारी अब जांच के घेरे में आ गया। पहले तो जांच टीम क्लोन चेक और क्लिरेरेन्स मोबाइल के बिंदु पर आगे बढ़ रही थी। लेकिन अब उस मोबाइल पर ही पेंच फंस गया। जिसपर चेक क्लिरेरेन्स हुआ है। सूत्रों का दावा है कि जिस मोबाइल नंबर पर 78 लाख के चेक क्लिरेरेन्स हुआ, वह मोबाइल नंबर किसी निजी व्यक्ति के नाम से रजिस्टर्ड है, जो वर्ष 2016 में एक्टिवेट कराया गया है। बैंक ऑफ बड़ौदा के शाखा प्रबंधक मनोज कुमार गुप्ता ने बताया कि प्रखंड कार्यालय को देना बैंक द्वारा चेक जारी किया गया था। लेकिन बैंक ऑफ बड़ौदा में जिस चेक से राशि ट्रांसफर की गई है वह चेक बैंक ऑफ बड़ौदा का ही था।
इधर एक बात और खुलकर आ रही है कि जब प्रखंड कार्यालय को बैंक ऑफ बड़ौदा ने चेक बुक निर्गत किया ही नहीं तो बैंक ऑफ बड़ोदा लिखा हुआ चेक क्लियर कैसे कर दिया। जबकि प्रखंड कार्यालय में देना बैंक का चेक अभी भी मौजूद है। रामगढ़ थाने में बीडीओ एनी रिंकू कसूर द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। थाना प्रभारी विद्या शंकर इस मुद्दे की जांच काफी गहनता पूर्वक करने की बात कही है। पुलिस अब जिन बिंदुओं पर जांच कर रही है उनमें सबसे अहम बिंदु यह है कि अगर प्रखंड कार्यालय को बैंक ऑफ बड़ौदा का चेक जारी नहीं हुआ, तो शाखा प्रबंधक ने चेक क्लियर कैसे किया, वर्तमान बीडीओ का मोबाइल अकाउंट से लिंक क्यों नहीं कराया गया, जिस मोबाइल नंबर से चेक क्लियर हुआ, वह नंबर बैंक में लिंक कौन कराया, जिस नंबर पर चेक क्लियर हुआ वह सिम दूसरे के नाम से रजिस्टर्ड है और वर्तमान बीडीओ का हुबहु हस्ताक्षर किसने किया।