Joharlive Desk
मथुरा। भारतीय संस्कृति के उन्नयन एवं संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले विलक्षण संत रामानन्दाचार्य को सात वर्ष की आयु में ही भगवत गीता और बाल्मिक रामायण कंठस्थ हो गयी थी।
रामनन्दाचार्य के बारे में वैष्णवान्तर संहिता में लिखा है कि ‘रामानन्दः स्वयं रामः प्रादूर्भूतो महीतले’ अर्थात जो स्वयं राम के अवतार थे। ब्रज संस्कृति के प्रकाण्ड विद्वान एवं रामानन्द आश्रम के महन्त पंडित शंकरलाल चतुर्वेदी ने बताया कि ब्रज की भूमि पर रामानन्दाचार्य नाम का एक ऐसा विलक्षण सन्त आया जिसके सांस्कृतिक प्रकाश से समूचा विश्व आलोकित हो उठा। यह विलक्षण सन्त जब पांच साल का था तो इसे पूरी गीता कंठस्थ थी तथा जब सात साल का था तो पूरी बाल्मीकि रामायण कंठस्थ थी।
रामानन्दाचार्य इतना विलक्षण प्रतिभा के थे कि उनके चमत्कारों एवं उनमें मौजूद भागवत शक्ति के कारण उनसे दीक्षा लेकर उनका शिष्यत्व ग्रहण करने की होड़ सी लग गई। उन्होंने 12 महाजन यानी प्रमुख शिष्य बनाए जिनमें अनन्तानन्दाचार्य(ब्रह्मा), सुखानन्द (शंकर भगवान),साई (भीष्म), कबीरदास(प्रहलाद) प्रमुख थे। उन्होंने सुरसुरी माता जी एवं पद्मावती माता जी के नाम से दो महिला शिष्या भी बनाई।
गिर्राज जी की तलहटी में स्थित रामानन्द आश्रम में आज से 24 जनवरी तक रामानन्दाचार्य जयन्ती में राम भक्ति की सरयू प्रवाहित हो रही है।
श्री चर्तुवेदी ने बताया कि प्रयाग में माता सुशीला और पिता पुण्य सदन शर्मा के यहां जन्म लेकर उन्होंने अपने जीवनकाल के प्रारंभिक समय से ही आध्यात्मिकता की मशाल जला दी। काशी में अध्ययन के बाद 12 साल की आयु में ही उनके आध्यात्मिक चिंतन का प्रकाश दसों दिशाओं में ऐसा फैला। एक दिन उनके आध्यात्मिक उन्नयन से प्रभावित होकर उनके माता पिता ने ही उनका शिष्यत्व ग्रहण करने के लिए उनसे दीक्षा देने का अनुरोध कर दिया।
माता पिता के अनुरोध से किंकर्तव्य विमूढ हो वे अन्तध्र्यान हो गए, तो आचार्य राधवदास ने उन्हें बुलाने के लिए राम महायज्ञ करने का सुझाव दिया। एक हजार ब्राहृमणों ने इसमें भाग लेकर छह करोड़ आहुतियां डाली। जब अन्तिम आहुति डाली गई तो वे प्रकट हो गए।
इस महान तपस्वी का कहना था कि ‘जाति पांति पूंछे नहि कोई। हरि को भजे सो हरि का होई। ’ रामानन्दाचार्य का कहना था कि भगवान की पूजा कोई कर सकता है क्योंकि राम ने उनके पास आनेवाले किसी भी व्यक्ति को निराश नही किया।
रामानन्द आश्रम में कार्यक्रम संयोजक राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि कार्यक्रम में नित्य पूर्वान्ह सुमधुर श्रीरामचरित मानस नवान्ह पाठ, श्रीरामचरित मानस चौपाई अनुसार राम महायज्ञ, अपरान्ह नित्य बाल्मीकि रामायण पर आधारित रामकथा, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त श्री आदर्श रामलीला मण्डल वृन्दावन मथुरा का भव्य रामलीला प्रदर्शन, हनुमान चालीसा का पाठ, गीत गोविन्द एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं। 23 जनवरी को सुन्दरकाण्ड पाठ के बाद सायं रावण का पुतला दहन होगा।
इसी शाम हरिनाम संकीर्तन मण्डल भजन संध्या का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम की पूर्णाहुति 24 जनवरी को होने के बाद सन्त ब्र्राह्मण प्रसाद का आयोजन किया गया है। सभी कार्यक्रम इस प्रकार आयोजित किये गए है कि गिर्राज तलहटी का वातावरण रामभक्ति से प्रतिध्वनित होता रहे। इस मनोहारी प्रेरणादायक कार्यक्रम से प्रभावित होकर हजारोें तीर्थयात्री पहले ही दिन से कार्यक्रम स्थल की ओर चुम्बक की तरह खिंचे चले आ रहे हैं।