रांची : झारखंड के खूंटी जिले में हुए मनरेगा घोटाला मामले में अदालत ने कनीय अभियंता राम बिनोद प्रसाद सिन्हा को पांच साल की सजा सुनाई है. अपर न्यायायुक्त प्रभात कुमार शर्मा की अदालत ने यह फैसला सुनाया. साथ ही उन पर सात लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माने की राशि नहीं चुकाने पर अतिरिक्त आठ माह की सजा काटनी होगी. राम बिनोद प्रसाद सिन्हा, जो पहले ही बर्खास्त हो चुके थे, तब ग्रामीण विकास विभाग के विशेष प्रमंडल में कनीय अभियंता के रूप में कार्यरत थे.
क्या है आरोप
मनरेगा घोटाले में राम बिनोद पर आरोप था कि उन्होंने फर्जी दस्तावेज तैयार कर 248 योजनाओं के लिए आवंटित करोड़ों रुपये की राशि गबन की. अदालत ने 12 योजनाओं के तहत 88 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में उन्हें पांच साल की सजा सुनाई है. इस मामले में उनका आपराधिक षडयंत्र उजागर हुआ था, जिसमें सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया था.
दर्ज हुए थे 14 मामले
2010 में इस घोटाले को लेकर खूंटी जिले में 14 केस दर्ज किए गए थे. बाद में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा जोड़ने पर इस मामले की जांच एसीबी ने अपने हाथ में ली. इस मामले में राम बिनोद के खिलाफ जांच अधिकारी ने 2011 में चार्जशीट दाखिल की थी.
आय से अधिक संपत्ति का भी मामला
राम बिनोद प्रसाद सिन्हा और उनके परिवार पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का भी आरोप है. उनकी पत्नी शीला, बेटी पूजा सिन्हा, और बेटे राहुल सिन्हा के खिलाफ भी जांच चल रही है. एसीबी की जांच में इन पर 679 प्रतिशत अधिक संपत्ति का आरोप लगा है. इस मामले में अब तक राम बिनोद को तीन मामलों में सजा हो चुकी है, और उनकी गिरफ्तारी से जुड़े कई अन्य मामले भी चल रहे हैं.
मनी लांड्रिंग में सुप्रीम कोर्ट से मिली है जमानत
राम बिनोद सिन्हा को मनी लाउंड्रिंग मामले में भी आरोपी ठहराया गया था और ईडी ने 2020 में उन्हें कोलकाता से गिरफ्तार कर जेल भेजा था. हालांकि, वह सुप्रीम कोर्ट से जमानत प्राप्त करने में सफल रहे, लेकिन अन्य मामलों में आरोपी होने के कारण वे अभी भी जेल में हैं.